देशभक्ति की कविताओं के साथ उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में मना 72 वां गणतंत्र दिवस




Listen to this article

जोगेंद्र मावी
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में 72 वां गणतंत्र दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। कुलपति प्रोफेसर देवीप्रसाद त्रिपाठी ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कुलपति ने विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों, कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गणतंत्र के महत्व को समझने के लिए कर्तव्यों का बोध होना आवश्यक है, तभी इसके महत्व को समझा जा सकता है।यह समारोह हमें अपने दायित्वों के प्रति निष्ठा का बोध कराता है, भारत का इतिहास गवाह है हम सभी भारतीय अपनी वीरता, धीरता और शौर्य के लिए जाने जाते हैं यद्यपि 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था इसके बाद ही हमें अपने अधिकार प्राप्त हुए थे, लेकिन इससे पूर्व की हमारे पूर्वजों की थाती हमें प्रेरणा देती है। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस वश्वविद्यालय के गौरव बनेंगे ऐसी अपेक्षाएं मुझे हमेशा बनी रहती हैं। हम सभी को स्वयं को और अधिक योग्य बनाने की आवश्यकता है, इसके लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए। कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय भारतीय परंपराओं का पूरी तरह पालन करता है, इसके लिए हमारे सभी अध्यापक, छात्र, कर्मचारियों का विशेष योगदान है, किसी भी संस्था का उद्देश्य स्प्ष्ट रुप से राष्ट्र के लिए समर्पण होता है,यह कार्य हमारे विश्वविद्यालय में दृष्टिगोचर होता दिखाई पड़ रहा है। कुलसचिव ने सभी छात्रों, कर्मचारियों, अध्यापकों से अपने जीवन में अनुशासन बनाए रखने की अपील की। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति का सिलसिलेवार विवरण प्रस्तुत किया। समारोह को व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ शैलेश तिवारी, डॉ कंचन तिवारी ने भी संबोधित किया।

इससे पूर्व छात्रों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। गार्ड कमांडर ब्रह्म कुमार शर्मा ने देशभक्ति कविताओं से कार्यक्रम में उत्साह भर दिया। डॉ अरविन्द नारायण मिश्र द्वारा समारोह के अंत में वन्देमातरम गीत की मधुर प्रस्तुति से समारोह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ प्रकाश पंत ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मनोज गहतोड़ी के साथ छात्र ,कर्मचारी एवं प्राध्यापक उपस्थित थे।