रक्षा बंधन: भद्रा इस बार पाताल लोक में, जाने राखी बांधने का शुभ मुहूर्त




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  • भगवान सूर्य अपने मित्र बुध के साथ कर रहे बुध आदित्य योग का निर्माण
  • सौभाग्य योग, शोभान योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग का सुखद संयोग

न्यूज 127.
रक्षा बंधन पर्व श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन यानि सावन की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3:04 पर आरंभ होगी और रात्रि 11:56 पर समाप्त होगी। भाई बहन के पवित्र प्रेम का यह त्योहार रक्षाबंधन इस बार सावन के आखिरी सोमवार को कई शुभ योग में पढ़ रहा है।

ज्योतिष राहुल अग्रवाल ने बताया कि आकाश के क्षितिज पर भगवान सूर्य अपने मित्र बुध के साथ बुध आदित्य योग का निर्माण कर रहे हैं। वही सौभाग्य योग, शोभान योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग का सुखद संयोग भी इस बार रक्षाबंधन के पर्व पर पड़ रहा है। इन सब शुभ योग के कारण यह पर्व सभी राशियों के लिए विशेष शुभ फल देने वाला रहेगा।

लेकिन इस बार भी भद्रा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। इस दिन भद्रा सुबह सूर्य उदय से पूर्व प्रारंभ होकर दोपहर 1:30 तक रहेगी। कुछ मान्यताओं के अनुसार भद्रा के बीच में राखी बांधने से परहेज करना चाहिए। लेकिन पंचांगों के अनुसार इस बार की भद्रा पाताल लोक में स्थित है, जिसका पृथ्वी पर कोई प्रभाव नहीं है। मान्यता के अनुसार जब भद्रा पाताल लोक में हो तो उस बीच में आवश्यक होने पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।

ज्योतिष राहुल अग्रवाल ने बताया कि भद्रा के पताल लोक में स्थित होने की वजह से इस बार रक्षाबंधन का पर्व किसी भी समय मनाया जा सकता है। इस दिन सुख शांति प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को चावल या मखाने की खीर का भोग लगाएं।

क्या होता है भद्रा काल
पंचांग में भद्रकाल नाम का एक समय होता है, जिसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खासतौर पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाती। असल में भद्राकाल का मतलब होता है शुभ समय लेकिन अपने नाम के विपरीत इस समय के परिणाम बहुत ही नकारात्मक माने जाते हैं।

कौन है भद्रा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा का जन्म दानवों के नाश करने हुआ था। भद्रा सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से जन्मी। भद्रा शनिदेव की बहन की नाम से भी जानी जाती है। ‌

राखी बांधने के कुछ शुभ मुहूर्त:—
प्रातः 9:50 से 10:45 तक
दोपहर 1:35 से 4:30 तक