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उल्लू पर आफत के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ लोग अंधविश्वास के चलते उल्लू की बलि दीपावली के दिन देने की फिराक में रहते हैं। ऐसे में शिकारी उल्लू का शिकार तस्करी के लिए करते हैं। वन विभाग अब ऐसे ही शिकारियों को पकड़कर संरक्षित वन्य जीव उल्लू को बचाने में जुटा है। वन विभाग की टीमें लगातार वन क्षेत्र में गश्त कर रही हैं।
कुछ अंधविश्वासी लोगों का मानना है कि उल्लू की बलि देने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी ऐसे अंधविश्वास के चलते संरक्षित वन्य जीव उल्लू की तस्करी होने की संभावना बढ़ गई है। वन विभाग ने उल्लू को बचाने और वन्य जीव तस्करों को सबक सिखाने के लिए अपनी कमर कसते हुए गश्त और चेकिंग बढ़ा दी है।
वन मुख्यालय से भी इस संबंध में एडवाइजरी जारी होने पर हरिद्वार वन प्रभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारी भी अलर्ट मोड में आ गए हैं। दीपावली पर उल्लू और दूसरे वन्य जीवों के शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन कर्मियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है। सभी वन कर्मचारियों को गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। वन कर्मी गंगा पार के जंगलों में जाकर शिकारियों की तलाश में गश्त कर रहे हैं।
एसओजी की टीम कर रही निगरानी
हरिद्वार जनपद के डीएफओ वैभव कुमार सिंह ने बताया कि अंधविश्वास के चलते नया प्रचलन सामने आया है। लोग संरक्षित वन्य जीव उल्लू की अवैध रूप से बलि देते हैं जो कानून अपराध है। वन्य जीवों की रक्षा के लिए अलर्ट जारी किया गया है। एसओजी की दो टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। वन कर्मियों को लगातार अपने अपने क्षेत्र में गश्त और चेकिंग के निर्देश दिये गए हैं। पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भूल कर भी न दे उल्लू बलि, आएगी दरिद्रता
शास्त्रों में उल्लू की बलि का कोई विधान नहीं है। यह कहना है कि नारायणी शिला मंदिर के मुख्य पुजारी पंड़ित मनोज त्रिपाठी का। बताया कि उल्लू की बलि देने से जीव हत्या का पाप लगता है, इससे मां लक्ष्मी कभी प्रसन्न नहीं होगी, ऐसा करने से केवल दरिद्रता आएगी। यदि किसी के पास उल्लू कैद है तो उसे पूजन कर आजाद करें तो शायद मां लक्ष्मी की कृपा हो।



