धर्मनगरी में अधर्म: हरिद्वार में हॉकी कोच की घिनौनी करतूत की पूरी दास्तां




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न्यूज127.
मोक्षदायिनी मां गंगा की नगरी हरिद्वार में अधर्म हुआ। हरिद्वार में हॉकी कोच ने होटल के कमरे में अपनी ही शिष्या खिलाड़ी की अस्मत तार—तार कर दी। ​बालिका खिलाड़ी के जीवन में अंधकार भर दिया। हालांकि पीड़िता की शिकायत पर हरिद्वार पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। खेल मंत्री रेखा आर्य ने भी पीड़ित परिजनों को ढांढस बंधाया और आरोपी कोच की नौकरी खत्म करके आजीवन कोच बनने के तमाम रास्ते बंद कर दिए। लेकिन धर्मनगरी में शर्मसार करने वाली इस घटना ने गुरू शिष्य की परंपरा पर एक बदनुमा दाग लगा दिया है।
आरोपी हॉकी कोच भानू प्रकाश आयु 30 साल पुत्र रविंद्र कुमार निवासी वार्ड नंबर 6 टनकपुर जिला चंपावत का निवासी है। कोच का चरित्र पहले से ही संदेहजनक रहा है। आरोपी भानू प्रकाश की पहली पत्नी की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। वह खुद जलकर मरी या उसको जलाकर मारा गया, यह बात रहस्य बनी हुई है। आरोपी भानू ने दूसरी शादी कर ली। दूसरी पत्नी के साथ वैवाहिक रिश्तों को लेकर उसकी स्थिति और मानसिकता को हरिद्वार के होटल की घटना दर्शाती है।
एक चरित्रवान व्यक्ति और खेल प्रतिभा का कोच अपनी बेटी की आयु की बच्ची के साथ होटल के कमरे में इस तरह की घिनौनी हरकत नही करता।
कोच को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन आरोपी भानू प्रकाश तो हैवान निकला। जिसके दिमाग में गंदगी भरी हुई थी। कोच के रूप में बहशी दरिंदा था, जो अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए बेटी जैसी बच्ची के जीवन को नर्क में धकेल गया। विदित हो कि करीब 30 दिनों से रोशनाबाद के हॉकी स्टेडियम में करीब 30 बालक और बालिकाओं का प्रशिक्षण एक माह से चल रहा था। करीब दो फेस का प्रशिक्षण पूरा हो चुका था। 6 जनवरी 2024 को सभी खिलाड़ियों को अपने—अपने घर जाना था। चयनित खिलाड़ियों को तीसरे फेस के प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाना था।
इसीलिए आरोपी भानू प्रकाश ने 5 जनवरी की शाम करीब पौने छह बजे पीड़िता को होटल के अपने कमरे में बुलाया। जहां आरोपी ने 15 साल की बालिका की इज्जत को तार—तार किया। पीड़िता ने मामले की जानकारी परिजनों और पुलिस को दी। जिसके बाद पुलिस एक्शन में आई और आरोपी कोच को हिरासत में लिया। आरोपी कोच की दरिंदगी की पूरी दास्तां होटल में कोच का कमरा बयां कर रहा था।
सलेक्शन की जानकारी देने के बुलाया
आरोपी कोच ने पीड़िता को अपने कमरे में टीम में चयन होने की जानकारी देने के लिए बुलाया था। पीड़िता खुशी खुशी कमरे में पहुंची थी। लेकिन उसको इस बात का बिलकुल अंदाजा नही था कि जिस कोच को भगवान मानती है, वह उसको कभी भी ना भूलने वाले जख्म को दे देगा। जिसके बाद उसके चेहरे पर मुस्कराहट कभी नही आयेगी।