उत्तराखंड में सरकार पलायन रोकने में नाकाम, शिक्षा और चिकित्सा पर वीराम
नवीन चौहान
उत्तराखंड की सरकार पलायन रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। प्रदेश की शिक्षा और चिकित्सा सेवा पर वीराम लगा हुआ है। सरकारी नौकरियों के पद रिक्त है। स्कूलों में अभिभावकों की कमी है। यह तमाम गंभीर सवाल कांग्रेस के चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने विधानसभा सत्र के दौरान सरकार की लचर कार्यशैली पर उठाए। उन्होंने कहा कि मैंने सदन में आवाज उठाई तो मंत्री धन सिंह रावत जी ने 50 एएनएम भेज दी।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को संबोधित करते हुए कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून तो है। लेकिन प्रदेश की सरकार ठीक तरीके से कार्य नही करा पा रही है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में अध्यापकों की कमी है। स्कूलों में अध्यापक नही होंगे तो बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा। सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा देने में नाकाम रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में बच्चों की कमी के चलते स्कूल बंद हो रहे है। जबकि सरकार की व्यवस्था ठीक नही होने के चलते स्कूल बंद हो रहे है। बच्चों का पलायन हो रहा है। सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में अध्यापक देने में नाकाम रही है। स्कूलों में भवन नही है। पेयजल और शौचालय की कमी है। स्कूलों में आधारभूत ढांचा नही होगा तो कैसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा। सरकार का दायित्व है कि वह स्कूलों की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित कराए। अभिभावक चाहता है कि बच्चों को तमाम सुविधाओं के साथ अंग्रेजी की शिक्षा भी मिले। बच्चा कक्षा एक से अंग्रेजी में पढ़ाई करे। लेकिन सरकार है कि कोई कार्य करने को तैयार नही है। शिक्षा विभाग का बजट आठ हजार करोड़ का है। लेकिन व्यवस्था शून्य है। अगर पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकना है तो शिक्षा पर बल दीजिए। जबकि प्रदेश के राजकीय 1800 पद रिक्त है। प्रवक्ता 4700 पद, एलटी के 3055 पद रिक्त है। पलायन रोकना है तो पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और जंगली जानवरों से मुक्ति दिलाओ।
UTTARAKHAND कांग्रेस विधायक के सवाल पर केबिनेट मंत्री धन सिंह का 50 एएनएम का जवाब



