नवीन चौहान, हरिद्वार। फाल्गुन मास में होने वाली महा शिवरात्रि को लेकर इस बार भी लोगां में उहापोह की स्थिति है। कुछ 13 फरवरी को महा शिवरात्रि बता रहें हैं तो कुछ के अनुसार 14 फरवरी को महा शिवरात्रि होगी। पं. देवन्द्र शुक्ल के अनुसार इस बार 13 फरवरी को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि है। मध्यरात्रि में 11 बजकर 35 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है। जबकि 14 फरवरी को पूरे दिन और रात 12 बजकर 47 मिनट तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। इस कारण महा शिवरात्रि का व्रत व पूजन 13 फरवरी को ही होगा।
इस साल बड़ी उलझन की स्थिति इसलिए बनी हुई है क्योंकि महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 13 फरवरी को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि है और मध्यरात्रि में 11 बजकर 35 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है। जबकि 14 फरवरी को पूरे दिन और रात 12 बजकर 47 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है। ऐसे में लोग दुविधा में हैं कि महाशिवरात्रि 13 फरवरी को मनेगी या 14 फरवरी को। पं. देवन्द्र शुक्ल के अनुसार धर्म सिंधु में दिया गया की चतुर्दशी तिथि दूसरे दिन निशीथ काल में कुछ समय के लिए हो और पहले दिन सम्पूर्ण भाग में हो तो पहले दिन ही यह व्रत करना चाहिए। ऐसे में शास्त्रानुसार 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
महा शिवरात्रि को भारत के प्रमुख त्यौहारों में से कहा गया है। शैव, शक्त व शाक्य सभी इस पर्व को उत्साह के साथ मनाते हैं। महा शिवरात्रि के पीछे मुख्यतः दो मान्यताएं है। लोगों की मान्यता है की सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। जबकि कुछ का मानना है की इस दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था। यू ंतो वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती हैं, लेकिन इन सभी में फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण है। इस दिन शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 09़ से 1 बजकर 01़ मिनट तक होगा। इस शुभ मुहूर्त की अवधि 51 मिनट की रहेगी। महा शिवरात्रि पर चतुर्थ पहर की होने वाली पूजा में प्रथम प्रहर की पूजा रात्रि 6 बजकर 05 मिनट से 21 बजकर 20 मिनट, दूसरे प्रहर की पूजा रात्रि 21 बजकर 20 मिनट से से 12 बजकर 35 मिनट, तीसरे प्रहर पूजा की 12 बजकर 35़ मिनट से 3 बजकर 49 मिनट व चतुर्थ व अंतिम प्रहर की पूजा 03 बजकर 49 मिनट से प्रातः 07 बजकर 04 निमट तक होगी। पं. देवन्द्र शुक्ल के अनुसार महा शिवरात्रि की पूजा का यू ंतो बड़ा विधान है, किन्तु श्रद्धापूर्वक एक लोटा जल व विल्व पत्र ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत है। इस दिन शिवलिंग पर धतूरा और बेलपत्र चढ़ाने का खास महत्व होता है। अलग-अलग फल प्राप्ति के लिए अलग-अलग पदार्थों व दृव्यों से अभिषेक करना विशेष फलदायी होता है।
महाशिवरात्रि कब, कैसे करें भगवान शिव का पूजन-अर्चन, जानिए पूरी खबर



