नवीन चौहान
बैंक लोन लेकर कारोबार शुरू करने वाले कारोबारी और दुकानदार बुरी तरह से टूट चुके है। उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा चुकी है। हालात बद से बदत्तर हो गए है। अधिकांश दुकानदार और कारोबारी मानसिक व शारीरिक बीमारी से जूझ रहे है। वही बैंक ऋण वसूली का तकाजा कर रहा है। बंधन रखी संपत्ति नीलामी के कगार पर खड़ी है। संपत्ति को नीलाम करने की अंतिम चेतावनी के तौर पर अखबारों में पब्लिकेशन कर कारोबारी की साख को बटटा लगाया जा रहा है। सरकार की ओर से इन कारोबारियों की कोई सुध नही लेने से उनका मनोबल भी टूट रहा है।
जी हां देश के हालात कुछ कदर बिगड़ चुके है कि संभालना मुश्किल हो रहा है। कमोवेश एक स्थिति छोटे दुकानदारों से लेकर मध्यम वर्गीय उ़द्यमियों व बड़े कारोबारियों की हो चुकी है।
छोटे दुकानदारों की कमर तो आन लाइन कारोबार ने तोड़ दी। दुकानदार ग्राहक के इंतजार में खाली बैठे है। जबकि आन लाइन बुकिंग तेजी से जारी है। घर बैठे ही सामान मंगाने की आदत ने स्थानीय कारोबारियों को बड़ा झटका दिया है। ग्राहकों की स्थिति यह हो गई कि वह मॉल में शॉपिंग करते है या फिर आन लाइन बुकिंग करते है। हद तो यह हो कि एक किलो आलू और टमाटर खरीदने के लिए भी आन लाइन सर्विस की सेवाएं ले रहे है। जिसके चलते रेहड़ी कारोबारी तक की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है।
कुछ ऐसा ही हाल मध्यमवर्गीय कारोबारियों का है। बैंक ऋण लेकर कारोबार शुरू करने वाले कारोबारियों को बाजार में जगह नही मिल पा रही है। कारोबार पैरों पर खड़ा भी नही हो पाया कि बैंक की किस्त कमर तोड़ रही है। कारोबार शुरू कर रोजगार का सृजन करने वाले कारोबारियों की मानसिक स्थिति दयनीय है। एक दो माह की किस्त टूटते ही कारोबारियों का कारोबार लड़खड़ा रहा है और उनका स्र्टार्टअप शुरू होने से पहले ही बंद हो रहा है।
ऐसे में देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकार को कुछ प्रभावी और बेहतर योजनाएं बनानी होगी। ताकि कारोबारियों के कारोबार में चमक दिखे और रोजगार का सर्जन हो सके।
दुूकानदार और कारोबारियों को सम्मान और अधिकार मिल सके। ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाले कारोबारी कर्ज के एवज में संपत्ति की नीलामी और बदनामी के खौफ से बाहर आ सके।
बैंक कर्ज चुकाने में टूट गए कारोबार, दुकानदार बीमार, सुध लो सरकार




