न्यूज127
भारतीय संस्कृति और संस्कारों के संवाहक तथा आर्य समाज की वैदिक पंरपरा को विश्व पटल पर स्थापित करने वाले डीएवी काॅलेज मैनेजिंग कमेटी, नई दिल्ली के प्रधान पद्मश्री डाॅ पूनम सूरी के निर्देशों पर डीएवी देहरादून में शिक्षक, शिक्षिकाओं की दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।

कार्यशाला में विशेष सत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता पर मनन, चिंतन किया जायेगा। वैदिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा पद्धति के समन्वय के साथ बच्चों का मानसिक, शारीरिक और सर्वागीण विकास को केंद्रित कर शिक्षण कार्य कराने की रणनीति बनाई जायेगी। इस कार्यशाला में उत्तराखंड जोन ‘ए’ के कुल 6 विद्यालयों के 46 शिक्षकों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख भारतीय संस्कृति के अनुरूप दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। डीएवी पब्लिक स्कूल देहरादून की प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया ने समयानुसार शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने के नए अवसर प्रदान करने वाली इन कार्यशालाओं के आयोजन हेतु पद्मश्री डाॅ पूनम सूरी, प्रधान डीएवी काॅलेज मैनेजिंग कमेटी, नई दिल्ली को धन्यवाद दिया।

उन्होंने उपस्थित सभी गणमान्यजन को संबोधित करते हुए कहा कि डीएवी सीएई के दिशा निर्देशन में आयोजित इस प्रकार की कार्यशालाएंँ मात्र एक आयोजन ही नहीं बल्कि हम सबके लिए एक अवसर है सीखने, सोचने और स्वयं को और अधिक प्रभावी शिक्षक के रूप में विकसित करने का। आधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस युग में हमारा भी स्वयं के ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को समय के साथ अद्यतन करना आवश्यक है।

इस कार्यशाला में उत्तराखंड जोन ‘ए’ के कुल 6 विद्यालयों के 46 शिक्षक भाग ले रहे हैं। उत्तराखंड जोन ‘ए’ के विद्यालयों में डीएवी पब्लिक स्कूल बाजपुर, डीएवी पब्लिक स्कूल कोटद्वार, डीएवी पब्लिक स्कूल हल्द्वानी, डीएवी पब्लिक स्कूल काशीपुर, डीएवी पब्लिक स्कूल रुद्रपुर, डीएवी पब्लिक स्कूल (मेजबान विद्यालय) देहरादून शामिल है।
यह कार्यक्रम 27 जून 2025 को आरंभ होकर 28 जून 2025 को संपन्न होगा। इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम में प्रारंभिक शिक्षा विकास कार्यक्रम 1, प्रारंभिक शिक्षा विकास कार्यक्रम 2, प्राथमिक स्तर पर ‘अंग्रेजी’ तथा माध्यमिक स्तर पर सामाजिक विज्ञान, गणित, संस्कृत व कंप्यूटर की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को अपने विषयों में नवीनतम शिक्षण विधियों और तकनीकों से अवगत कराना, नई शिक्षण पद्धतियों और विषय विशेषज्ञता से परिचित कराना , उनमें कौशल, दृष्टिकोण और कार्यक्षमता को इस प्रकार विकसित करना है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में अधिक दक्षता, प्रभावशीलता और आत्मविश्वास के साथ कार्य कर सकें। इस कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार, नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की योग्यता तथा सामूहिक कार्य की भावना को भी प्रोत्साहित किया गया।