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गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में बीते कुछ सप्ताहों से चला आ रहा प्रशासनिक संकट अब और गहराता जा रहा है। विश्वविद्यालय में एक ओर कार्यवाहक महिला कुलपति प्रो. हेमलता अंग्रेजी विभाग के कार्यालय में बैठकर नियमित कार्यों को संचालित कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुलाधिपति डॉ. एसके आर्य द्वारा नियुक्त नए कुलपति डॉ. प्रभात सेंगर दिल्ली में बीओएम (Board of Management) की बैठक में शामिल हुए।
लेकिन अब इस बीओएम की बैठक के औचित्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। विश्वविद्यालय में जब प्रशासनिक नेतृत्व को लेकर ही स्थिति स्पष्ट नहीं है, ऐसे में बिना व्यापक सहमति व पारदर्शिता के बीओएम की बैठक बुलाना कर्मचारियों को खटक रहा है। शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्र संगठनों का कहना है कि ऐसे समय में कोई भी निर्णय या प्रस्ताव विश्वविद्यालय हित में नहीं माना जा सकता।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के बाहर लगातार 18वें दिन भी कर्मचारी सांकेतिक धरने पर डटे रहे। धरने पर बैठे कर्मचारियों की मांग है कि विश्वविद्यालय की गरिमा और परंपरा के अनुरूप जल्द से जल्द स्पष्ट नेतृत्व बहाल किया जाए, ताकि संस्थान का शैक्षणिक और प्रशासनिक ढांचा फिर से सामान्य हो सके।
रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने गतिरोध को समाप्त करने हेतु कई प्रयास किए, लेकिन वे अब तक नाकाम साबित हुए हैं। विश्वविद्यालय में व्याप्त यह असमंजस न केवल शिक्षकों व कर्मचारियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि गुरूकुल कांगड़ी की गरिमा और भावी योजनाओं पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है।
अब इस संकट का समाधान केंद्र सरकार, यूजीसी और कोर्ट के निर्णायक हस्तक्षेप पर निर्भर करता है। सभी की निगाहें आने वाले कुछ दिनों की दिशा और कोर्ट के निर्णयों पर टिकी हैं। प्रोफेसर हेमलता ने बीओएम की बैठक के औचित्य पर ही सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि यूजीसी की ओर से उनको कुलपति पद सौंपा गया है। इस आधार पर वह कुलपति है। हालांकि वह अपने अंग्रेजी विभाग में बतौर डीन कार्य कर रही है। सीनियर मोस्ट प्रोफेसर के तौर पर उनको बीओएम में भाग लेने के लिए पत्र दिया गया है। रजिस्ट्रार सुनील कुमार की ओर से बीओएम का पत्र दिया गया है। जबकि सुनील कुमार के पास रजिस्ट्रार का पद ही नही है। पद तो विपुल शर्मा के पास है। कुलपति की नियुक्ति का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में बीओएम की बैठक का कोई अस्तित्व ही नही है।
विदित हो कि यूजीसी की ओर से नियुक्त कार्यवाहक कुलपति प्रो हेमलता ने आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से नियुक्त कुलाधिपति डॉ एसके आर्य की ओर से नियुक्त कुलपति प्रभात सेंगर की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट के आदेश के इंतजार पर सभी की निगाहे टिकी है।
वही दूसरी ओर से ऐसे ही रजिस्ट्रार सुनील कुमार को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुलपति हेमलता ने सुनील कुमार को हटाकर विपुल शर्मा को रजिस्ट्रार पद की जिम्मेदारी दी थी। जबकि सुनील कुमार खुद को रजिस्ट्रार मानकर कुलपति प्रभात सेंगर के साथ विश्वविद्यालय के कार्यो को कर रहे है।
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थिति यह है कि कुलपति प्रभात सेंगर के पास कुलपति की कुर्सी और कार्यालय है तो उनके पास कार्य कराने के लिए कर्मचारी नही है। जबकि कुलपति हेमलता के पास कार्य करने के लिए कर्मचारी मौजूद है तो कुलपति की कुर्सी और कार्यालय नही है।
ऐसा ही रजिस्ट्रार सुनील कुमार के मामले में है। गुरूकुल के कर्मचारी सुनील कुमार को रजिस्ट्रार कार्यालय में जाने नही दे रहे है। जबकि विपुल शर्मा के पास पद है तो पावर नही है।
गुरुकुल कांगड़ी में अजीबो-गरीब स्थिति, एक कुलपति बीओएम में तो दूसरा गुरूकुल – बीओएम की बैठक पर भी उठे सवाल



