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श्रावण मास के पवित्र माह में रविवार को भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार स्थित श्री मनसा देवी मंदिर में दर्शन के लिए पहुँचे थे, तभी मंदिर की चढ़ाई के दौरान अचानक भगदड़ मच गई। इस दर्दनाक हादसे में 6 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 35 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे के बाद मंदिर क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई।
हादसे की वजह: करंट की अफवाह या भक्त का फिसलना ?
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि किसी ने सीढ़ियों के पास जोर से यह अफवाह उड़ा दी कि ऊपर से बिजली का तार गिर गया है और करंट फैल रहा है। इस डर से लोग भागने लगे, जिससे धक्का-मुक्की हुई और कई श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिर पड़े।
वहीं मंदिर प्रशासन का कहना है कि संभवत: एक महिला भक्त के फिसलने के बाद भीड़ असंतुलित हुई, जिससे यह भगदड़ हुई। बिजली विभाग ने स्पष्ट किया है कि कहीं भी करंट लीक होने की घटना नहीं हुई थी।
राहत और बचाव
घटना के बाद प्रशासन, पुलिस, NDRF व SDRF की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुँचीं और घायलों को हरिद्वार जिला अस्पताल व अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। स्थिति पर काबू पा लिया गया है, लेकिन मंदिर की ओर जाने वाले मुख्य रास्तों पर फिलहाल भारी सुरक्षा और रोक लगाई गई है।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति द्रोपर्दी मुर्म, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
मुआवजा राशि
उत्तराखंड सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख की आर्थिक सहायता और घायलों को 50,000 का मुआवजा देने की घोषणा की है।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और अधिकारियों को crowd management मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
अब ज़रूरत है सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की
मंसा देवी मंदिर में दुखद हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और अफवाहों को रोकने के लिए ठोस इंतज़ाम क्यों नहीं किए जाते। क्या भविष्य में प्रशासन ऐसे हादसों से कोई सबक लेगा?
मंसा देवी मंदिर में भारी भीड़ में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल, अफवाह से चीख पुकार




