एसएचओ शैंकी चौधरी पर उठे सवाल, तो समर्थक बोले – “गलती इंसान से होती है, विलेन मत बनाइए”




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न्यूज127
निलंबित राजपुर थाना प्रभारी शैंकी चौधरी इन दिनों चर्चाओं में हैं। हाल ही में शराब के नशे में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद कुछ लोग सोशल मीडिया पर उन्हें कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच उनका बचाव करने वालों की आवाजें भी सामने आ रही हैं। शैंकी चौधरी के नेक कार्यो की तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल है।

समर्थक सतपाल धनिया का कहना है कि “गलती हर इंसान से हो सकती है, एसएचओ शैंकी चौधरी से भी हुई और उन्होंने उसका खामियाजा भी भुगता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें विलेन घोषित कर दिया जाए।”

समाजहित में किए असंख्य कार्य

शैंकी चौधरी के पक्ष में सामने आए लोगों ने यह भी तर्क दिया कि शैंकी चौधरी ने अपने कार्यकाल में कई अच्छे कार्य किए हैं और समाजहित में हमेशा आगे रहे हैं। उनकी तत्परता और सक्रियता की वजह से कई बड़े अपराधों का खुलासा हुआ है।

नौकरी का दबाव और जिम्मेदारी
समर्थकों का यह भी कहना है कि पुलिस की नौकरी 24 घंटे की होती है। कई बार आपातकालीन फोन आने पर अधिकारियों को तत्काल घर से निकलना पड़ता है। ऐसे में यदि किसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में वे नशे की हालत में बाहर निकल आए हों, तो इसे उनकी पूरी छवि पर हावी करना उचित नहीं है।

एजेंडे से छवि पर असर
पुलिस के समर्थक यह आरोप भी लगा रहे हैं कि कुछ लोग इस घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं, जिससे पुलिस की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उनका कहना है कि एक गलती को आधार बनाकर पूरी फोर्स को बदनाम करना गलत है।

ट्रोलिंग से हो सकता है नुकसान
सोशल मीडिया पर ट्रोल करने की प्रवृत्ति को लेकर भी लोगों ने चिंता जताई। उनका कहना है कि इस तरह की बातें केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि पुलिस विभाग की समग्र छवि को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

बताते चले कि शैंकी चौधरी ने पुलिस डयूटी में हमेशा नेक कार्यो को प्राथमिकता दी है। जनता की सेवा में तत्पर रहते है। विपरीत परिस्थितियों में अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहते है। अनुशासित पुलिसकर्मी है। लेकिन एक गलती के लिए उनको अपराधी की तरह पेश करना सही नही ठहराया जा सकता है।

शराब पीना उनका व्यक्तिगत शौक हो सकता है। लेकिन नशे की हालत में घर से निकलना मजबूरी हो सकती है। किन कारणों में वह निकले। उसको जानना भी जरूरी है। ​