श्रीनगर राजकीय मेडिकल कॉलेज को नौ नए विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति




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देहरादून
राज्य के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए राहत भरी खबर है। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में नौ नए विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने संविदा के आधार पर इन विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को अनुमोदन प्रदान कर दिया है। इस निर्णय से कॉलेज में शिक्षण व प्रशिक्षण संबंधी गतिविधियों को मजबूती मिलेगी और विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध होगा।

राजकीय मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित साक्षात्कार समिति द्वारा वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से 9 विशेषज्ञ चिकित्सकों का चयन किया गया था। समिति की अनुशंसा पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नियुक्ति प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।

नियुक्त किए गए विशेषज्ञ चिकित्सकों में डॉ. कुलदीप सिंह लालर को कार्डियोलॉजी विभाग, डॉ. देवेन्द्र कुमार को न्यूरोसर्जरी, तथा डॉ. इंदिरा यादव को रेडियोथैरेपी विभाग में प्रोफेसर पद पर तैनाती दी गई है।
इसी प्रकार डॉ. सौरभ सचर को रेडियोडायग्नोसिस, डॉ. विक्की बख्शी को रेस्पिरेटरी मेडिसिन, और डॉ. शीबा राणा को ईएनटी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया है।
वहीं डॉ. निधि बहुगुणा (ऑब्स एंड गायनी), डॉ. सुफीयां खान (नेत्र रोग), और डॉ. छत्रा पाल (इमरजेंसी मेडिसिन) को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दी गई है।

इन नियुक्तियों की अवधि तीन वर्ष अथवा नियमित नियुक्ति होने तक (जो भी पहले हो) के लिए निर्धारित की गई है। कॉलेज प्रशासन का मानना है कि इन विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती से एमबीबीएस छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलेगा। साथ ही कॉलेज से संबद्ध चिकित्सालयों में मरीजों को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि “राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में नौ विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति कर दी गई है। इससे शिक्षण और प्रशिक्षण गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार होगा। राज्य सरकार की मंशा प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में शत-प्रतिशत फैकल्टी की तैनाती सुनिश्चित करने की है।”