डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, हरिद्वार में दो दिवसीय वैदिक आनंदोत्सव का भव्य आयोजन
news127 ,हरिद्वार।
भारतीय संस्कृति, वैदिक परंपराओं और आधुनिक शिक्षा के समन्वय का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करते हुए डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर हरिद्वार में दिनांक 10 एवं 11 नवम्बर 2025 को ‘वैदिक आनंदोत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन डीएवी कॉलेज प्रबंधकर्तृ समिति, नई दिल्ली के तत्वावधान में पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी, प्रधान डीएवी कॉलेज प्रबंधकर्तृ समिति, प्रधान आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा, नई दिल्ली तथा कुलाधिपति डीएवी यूनिवर्सिटी, जालंधर के स्नेहाशीष से सम्पन्न हुआ।

विद्यालय के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंधक जे.के. कपूर तथा डीएवी पब्लिक स्कूलों के निदेशक डॉ. वी. सिंह के मार्गदर्शन और निर्देशन में इस दो दिवसीय सांस्कृतिक पर्व की समग्र संरचना, अनुशासन और सांस्कृतिक परिकल्पना को सफलता मिली।

दीप प्रज्वलन एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ शुभारंभ
उत्सव का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मनोज कुमार गुप्ता, क्षेत्रीय अधिकारी, सी.बी.एस.ई. देहरादून तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलपति, उत्तराखंड संस्कृति विश्वविद्यालय ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तराखंड के समस्त डीएवी विद्यालयों के प्रधानाचार्य, हरिद्वार के प्रमुख शिक्षाविद्, अभिभावकगण और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं पौधा भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि यह उत्सव पिछले 15 वर्षों से डीएवी परिवार की एक गौरवपूर्ण परंपरा रहा है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में वैदिक आदर्शों और भारतीय संस्कारों की प्रतिष्ठा करना तथा उन्हें आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ना है।
उन्होंने कहा, “ऋषि दयानंद सरस्वती जी का उद्देश्य था ऐसी शिक्षा देना जो आत्मज्ञान के साथ समाज के प्रति कर्तव्यबोध भी जगाए। हमारे विद्यालय में हम बच्चों को सत्य, सेवा, अनुशासन और करुणा का जीवन जीने की शिक्षा देते हैं।”
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन
कार्यक्रम का आरंभ विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत “स्वागत है आपका, इस पावन अवसर पर…” से हुआ। इसके पश्चात राजस्थानी लोक नृत्य ‘रंगीलो राजस्थान’ ने दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया।
मुख्य वैदिक वक्ता प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि “वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का संपूर्ण दर्शन हैं। यदि विद्यार्थी वैदिक मूल्यों को आत्मसात कर लें, तो वे समाज और राष्ट्र के आदर्श नागरिक बन सकते हैं।”
छात्रों का सम्मान और प्रेरणा के क्षण
उत्सव के दौरान शैक्षणिक, सांस्कृतिक और सह-शैक्षणिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र, ट्रॉफी और मेडल प्रदान किए गए। मुख्य अतिथि ने पुरस्कार वितरण करते हुए कहा—“डीएवी के विद्यार्थी केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि संस्कृति के संवाहक भी हैं। इनकी मुस्कान और अनुशासन में भारत का उज्ज्वल भविष्य दिखाई देता है।”
‘छत्रपति वीर शिवाजी’ नाटक ने गूंजा सभागार
दूसरे दिन कार्यक्रम का सबसे प्रभावशाली क्षण था ऐतिहासिक नाट्य प्रस्तुति “छत्रपति वीर शिवाजी”। विद्यार्थियों ने शिवाजी महाराज के जीवन, संघर्ष और राष्ट्रप्रेम को इतने जीवंत रूप में प्रस्तुत किया कि पूरा सभागार “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा।
इसके पश्चात बच्चों ने भक्ति गीत “रघुपति राघव राजा राम…” की प्रस्तुति दी, जिसने वातावरण को पूर्णतः आध्यात्मिक बना दिया।
नव रस नृत्य नाटिका बनी आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम का समापन ‘नव रस नृत्य नाटिका’ से हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने श्रृंगार, वीर, हास्य, करुण, रौद्र, अद्भुत, भयानक, बीभत्स और शांत रस के भावों को नृत्य एवं अभिनय के माध्यम से जीवंत किया।
मंच संचालन नवदीप कौर छाबड़ा एवं निशा शर्मा ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन और प्रसाद वितरण के साथ दो दिवसीय वैदिक आनंदोत्सव संपन्न हुआ।
संस्कार और शिक्षा का अनूठा संगम
यह उत्सव केवल विद्यालय का वार्षिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि ज्ञान, संस्कृति, कला और अध्यात्म का ऐसा संगम था जिसने उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति के हृदय को भावविभोर कर दिया। विद्यालय परिवार के सामूहिक प्रयास, शिक्षकों की सृजनशीलता, विद्यार्थियों के उत्साह और प्रबंधन समिति के मार्गदर्शन ने इस आयोजन को एक अद्वितीय सांस्कृतिक पर्व बना दिया।



