महंत रविंद्र पुरी जी महाराज ने जापानी संत को श्री निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से किया सुशोभित




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— आध्यात्मिक इतिहास में नया अध्याय, भारतीय धर्म संस्कृति का व्यापक प्रचार कर रहा निरंजनी अखाड़ा

न्यूज127, हरिद्वार।
आध्यात्मिक संस्कृति की नगरी हरिद्वार ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए सनातन परंपरा में एक नया अध्याय जोड़ा। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने जापान के प्रसिद्ध संत स्वामी बाला कुंभ मुनि महाराज को विधि-विधान और पारंपरिक पद्धति के साथ महामंडलेश्वर की प्रतिष्ठित उपाधि से अलंकृत किया। अखाड़ा परिसर में आयोजित भव्य पट्टाभिषेक समारोह में सैकड़ों की संख्या में साधु-संतों ने सहभागिता कर इस ऐतिहासिक क्षण को दिव्यता और गौरव से भर दिया।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज सहित अनेक प्रतिष्ठित संत सम्मिलित हुए। जापान से आए साधकों को भी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया, जिससे समारोह की भव्यता और बढ़ गई।

सनातन धर्म की महिमा आज विश्वभर में गूंज रही है” — शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम

नव-नियुक्त महामंडलेश्वर को आशीर्वाद देते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की व्यापकता और पवित्रता ने आज पूरे विश्व के हृदय को स्पर्श किया है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा और उनके कार्यों को आधुनिक समय में भी उसी दृढ़ता से आगे बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “सनातन न नूतन है, न पुरातन। यह सृष्टि के आरंभ से है और अनंत काल तक रहेगा। आज आलोचक भी सनातन की बात कर रहे हैं—यही इसकी शक्ति है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि किसी भी संन्यास परंपरा में भेद नहीं होता और जापान के एक युवा संन्यासी का सनातन संस्कृति को अपनाना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है।

सनातन धर्म आज विश्वभर में फैल रहा—जापानी शिष्य भी करेंगे प्रचार” — श्रीमहंत रविंद्रपुरी

समारोह की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि स्वामी बाला कुंभ मुनि महाराज अत्यंत विद्वान और सिद्ध संत हैं। उन्होंने कहा, “उन्होंने बौद्ध परंपरा को त्यागकर सनातन धर्म को अपनाया है। उनके लगभग ढाई हजार शिष्य हैं, जिनमें से अस्सी शिष्य आज यहां उपस्थित होकर सनातन परंपरा में दीक्षित हुए हैं। ये शिष्य पूरी दुनिया में सनातन की संस्कृति और उसके सिद्धांतों का प्रसार करेंगे।”

महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त करने के बाद उनका नाम स्वामी बाला कुंभ पुरी हो गया है। अब वे देश-विदेश में सनातन परंपराओं के प्रचार-प्रसार को नई दिशा देंगे।

“बहुत जल्द उत्तराखंड में आश्रम स्थापित करूंगा” — स्वामी बाला कुंभ पुरी

गौरवपूर्ण उपाधि मिलने पर भावुक होते हुए स्वामी बाला कुंभ पुरी महाराज ने सभी संतों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म की विशालता, शांति और अध्यात्मिक ऊर्जा से प्रभावित होकर मैंने इसे स्वीकार किया। मुझे सपना आया था कि मैं उत्तराखंड में रहता हूँ, इसलिए अब मैं संकल्पित हूँ कि पूरी दुनिया में सनातन का संदेश पहुँचाऊँ।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे बहुत जल्द उत्तराखंड में अपना आश्रम स्थापित करेंगे, जहाँ से वे विश्वभर के साधकों को सनातन संस्कृति का ज्ञान देंगे।

संत समाज की गरिमामयी उपस्थिति

समारोह में संत समुदाय का विशाल जमावड़ा रहा। उपस्थित प्रमुख संतों में—
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज, श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज, श्रीमहंत राम रतन गिरि, श्रीमहंत राम सेवक गिरि, श्री महंत राजगिरि, श्री महंत नीलकंठ गिरि, श्री महंत हरगोविंद पुरी, श्रीमहंत दर्शन भारती महाराज, स्वामी ललितानंद गिरि, साध्वी सरिता गिरि, स्वामी अनंतानंद गिरि, स्वामी तेजेश्वरानंद गिरि, जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर राधे मां, पूर्व राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती, बाबा हठयोगी,
श्री मनसा देवी ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री महंत राजगिरि, अनिल शर्मा, दिगंबर सतीश वन आदि संत शामिल रहे।

इस भव्य और ऐतिहासिक समारोह ने यह सिद्ध कर दिया कि सनातन धर्म की रोशनी अब सीमाओं से परे विश्वभर के साधकों के पथ को आलोकित कर रही है, और हरिद्वार इस अध्यात्मिक पुनर्जागरण का वैश्विक केंद्र बनकर उभर रहा है।