हरिद्वार
एस.एम.जे.एन. महाविद्यालय में आज आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) द्वारा मानसिक तनाव प्रबंधन एवं परीक्षा पे चर्चा विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्देश्य युवाओं में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों को समझना, समाधान सुझाना और परीक्षा काल में तनाव को नियंत्रित करने के व्यावहारिक उपाय बताना था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, श्रीमहन्त रविन्द्रपुरी ने की। उन्होंने कहा कि विश्वभर में एक अरब से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ जीवन जी रहे हैं, जिसका असर न केवल व्यक्ति बल्कि परिवार और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर भी गहरा पड़ता है।
उन्होंने कहा— “तेज रफ्तार जिंदगी, पढ़ाई का दबाव, सोशल मीडिया और डिजिटल दुनिया का अत्यधिक प्रभाव Gen Z को मानसिक तनाव के घेरे में धकेल रहा है।”
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने मानसिक स्वास्थ्य के वास्तविक स्वरूप को स्पष्ट करते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य केवल किसी बीमारी से मुक्त होना नहीं, बल्कि एक भावनात्मक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन है।
उन्होंने बताया कि— सकारात्मक सोच, भावनात्मक संतुलन, आत्म-जागरूकता, सामाजिक जुड़ाव ही मानसिक स्वास्थ्य के चार मूल स्तंभ हैं।
प्रो. बत्रा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य एक निरंतरता है और शुरुआती संकेतों की पहचान तथा परिवार/शिक्षकों के साथ खुला संवाद गंभीर समस्याओं को पनपने से पहले रोक सकता है।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि यह कार्यशाला मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन स्थापित करती है। उन्होंने कहा— “मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को समाज की वास्तविक चुनौतियों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। इससे उपचार और देखभाल अधिक प्रभावी बन सकती है।” डॉ. माहेश्वरी ने छात्रों को सलाह दी कि तनाव या उलझन की स्थिति में सबसे पहले अपने माता-पिता से खुलकर बात करें। यही तनाव से बचने का सर्वोत्तम तरीका है।
परीक्षा संबंधी अवसाद और तनाव पर बोलते हुए स्ट्रेस काउंसलर चारु सहगल ने कहा कि पढ़ाई अपने आप में कठिन नहीं होती, बल्कि हमारी अव्यवस्थित दिनचर्या इसे कठिन बना देती है। उन्होंने विद्यार्थियों को स्क्रीन टाइम कम करने, डिजिटल डिटॉक्स अपनाने और पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने की सलाह दी।
महाविद्यालय के चिकित्सक डॉ. प्रदीप त्यागी ने मानसिक तनाव के संकेतों, लक्षणों और उनसे बचने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, स्वस्थ दिनचर्या और संतुलित खानपान तनाव मुक्त जीवन की आधारशिला हैं।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बाँधा माहौल
कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने माहौल को जीवंत बना दिया। पूर्व छात्र मेहताब आलम ने “हमें तुमसे प्यार कितना” गीत प्रस्तुत किया। बी.ए. के छात्र चन्द्रकिरण ने “माई तेरी चुनरिया लहराई” गीत से सबको मंत्रमुग्ध किया। पूर्व छात्रा शीना भटनागर की प्रस्तुति ने भी खूब सराहना बटोरी।
कार्यक्रम का संयोजन और संचालन प्रो. विनय थपलियाल, डॉ. मीनाक्षी शर्मा, डॉ. पल्लवी द्वारा किया गया। जबकि डॉ. शिवकुमार चौहान, वैभव बत्रा, दिव्यांश शर्मा, विनीत सक्सेना, पंकज भट्ट, डॉ. पुनिता शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. रेनू सिंह, डॉ. विनीता चौहान, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. रजनी सिंघल, डॉ. लता शर्मा, रुचिता सक्सेना, डॉ. पद्मावती तनेजा, कार्यालय अधीक्षक मोहन चंद्र पाण्डेय, प्रिंस श्रोत्रिय, संदीप सकलानी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।



