न्यूज 127.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी जी महाराज आज के युग में एक ऐसे संत के रूप में स्थापित हैं, जिन्होंने अपने जीवन को धर्म, समाज और मानवता की निःस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। संत परंपरा की गरिमा को जीवित रखते हुए उन्होंने वर्षों से समाज के प्रत्येक वर्ग के उत्थान और सनातन धर्म के संरक्षण को अपना ध्येय बनाया है।
महंत रविंद्र पुरी महाराज न केवल अखाड़ा परिषद का नेतृत्व करते हैं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य पूरे उत्तर भारत में प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। गरीब, कमजोर और जरूरतमंद लोगों की आर्थिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा के लिए उन्होंने अनेक योजनाएँ चलाईं, जिससे हजारों परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिला। समाज के पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनका समर्पण और दृष्टि सदैव प्रशंसनीय रही है।
राज्य में जब भी प्राकृतिक आपदाएँ आईं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी जी महाराज सबसे आगे खड़े दिखाई दिए। उन्होंने कई अवसरों पर राज्य सरकार को आर्थिक सहयोग प्रदान कर राहत और बचाव कार्यों को सशक्त बनाया। केदारनाथ आपदा से लेकर प्रदेश में आने वाली विभिन्न प्राकृतिक calamities तक, महंत जी और उनकी संस्था द्वारा दिया गया योगदान जनमानस में आज भी याद किया जाता है।
कोरोना संक्रमण काल में श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने गरीबों की सेवा और प्रदेश सरकार के लिए दोनों हाथों से दिल खोलकर दान किया। सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार को लेकर श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज सदैव सक्रिय रहे हैं। उन्होंने देशभर में जन-जागरण अभियानों के माध्यम से लोगों को धार्मिक मूल्यों, संस्कृति और भारतीय जीवन शैली से जोड़ने का कार्य किया। उनके प्रयासों ने न केवल धर्म के प्रति आस्था बढ़ाई, बल्कि समाज में जागरूकता और धार्मिक सौहार्द भी मजबूत किया।
युवा पीढ़ी को सही दिशा देने के लिए वे लगातार प्रयासरत रहते हैं। युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक मार्ग देने हेतु उन्होंने नशा मुक्ति अभियान चलाया, जिसने समाज में व्यापक प्रभाव डाला। उनके नेतृत्व में यह अभियान कई युवाओं के लिए नई शुरुआत सिद्ध हुआ, जिससे उन्हें जीवन का सही उद्देश्य समझाया जा सका।
सामाजिक एकता और राष्ट्रीय अखंडता को मजबूत करने में भी महंत रविंद्र पुरी जी महाराज का योगदान उल्लेखनीय है। वे समाज को जाति, वर्ग और क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर एकता के सूत्र में पिरोने के प्रयास लगातार करते रहे हैं। धर्मसभा, संगोष्ठी, सेवा शिविर और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से उन्होंने लाखों लोगों को सामाजिक एकजुटता का संदेश दिया।
सत्य, न्याय और सनातन धर्म के संरक्षण के लिए महंत रविंद्र पुरी महाराज हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते हैं। वे उन संतों में से हैं जो केवल उपदेश नहीं देते, बल्कि खुद आगे बढ़कर हर वह कार्य करते हैं जो समाज के लिए आवश्यक हो— चाहे वह सेवा हो, संघर्ष हो या जनकल्याण।
उनका जीवन इस बात का साक्ष्य है कि धार्मिक नेतृत्व केवल मंदिरों और परंपराओं तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की हर समस्या से जुड़ा और उसके समाधान की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। महंत रविंद्र पुरी महाराज आज के समय में धर्म, सेवा, समर्पण और राष्ट्रीय चेतना के सशक्त प्रतीक बन चुके हैं।



