न्यूज 127. हरिद्वार।
उत्तराखंड के गांधी नाम से विख्यात इंद्रमणि बडोनी के जन्मदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को मनाए जाने वाले उत्तराखंड लोक संस्कृति दिवस को डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर, हरिद्वार में अत्यंत उत्साह, गरिमा और सांस्कृतिक चेतना के साथ मनाया गया। यह दिवस राज्य की समृद्ध लोक परंपराओं, लोक भाषाओं, कला, संगीत, नृत्य, वेशभूषा, खान–पान और जीवनशैली को सम्मान देने तथा नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

दीप प्रज्वलन से हुई कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं इंद्रमणि बडोनी के छायाचित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। विद्यालय परिसर लोक रंगों और सांस्कृतिक भावनाओं से सराबोर नजर आया। छात्रों ने हिंदी, गढ़वाली, कुमाऊनी एवं जौनसारी भाषाओं में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से उत्तराखंड की जीवंत लोक संस्कृति को मंच पर सजीव कर दिया।

सांस्कृति कार्यक्रम में शानदार प्रस्तुति
कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति पारंपरिक “दैणा हुइयाँ खोली का गणेश” मांगल गीत रही, जिसने उपस्थित दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कक्षा आठ की छात्रा अभिष्टि गर्ग ने इंद्रमणि बडोनी के व्यक्तित्व, संघर्ष और सामाजिक योगदान पर सारगर्भित भाषण प्रस्तुत किया। विशा कृशाली ने अपनी भावपूर्ण कविता के माध्यम से बडोनी के त्याग और समर्पण को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। कक्षा दस के छात्र अनंत बहुगुणा और अग्रता रावत ने गढ़वाली भाषा में कविताएं सुनाकर लोक भाषा की मधुरता और भावनात्मक गहराई को उजागर किया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति पारंपरिक गढ़वाली नृत्य रही, जिसने सभी दर्शकों का मन मोह लिया और तालियों की गूंज से सभागार गूंज उठा।

त्याग, तपस्या और सामाजिक सेवा का उदाहरण
कार्यक्रम के समापन अवसर पर प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इंद्रमणि बडोनी का जीवन त्याग, तपस्या, सत्यनिष्ठा और सामाजिक सेवा का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य के गठन में बडोनी के संघर्ष और योगदान को समझना प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक है तथा उनकी जीवनी से युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम का सशक्त एवं प्रभावी मंच संचालन कक्षा नौ की अविका सैनी द्वारा हिंदी भाषा में तथा शौर्य सिंह बिष्ट द्वारा गढ़वाली भाषा में किया गया। धन्यवाद ज्ञापन नवनीत बलोदी द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसके साथ कार्यक्रम का सफल समापन हुआ।

कार्यक्रम सफल बनाने में इनका रहा विशेष योगदान
इस अवसर पर पर्यवेक्षक शरद कान्त कपिल, पर्यवेक्षिकाएं कुसुम बाला त्यागी, हेमलता पांडेय एवं वैशाली अरोड़ा, संगीत विभाग समन्वयक हिमांशु गुप्ता, नृत्य विभाग समन्वयिका दीपमाला शर्मा, संस्कृत विभाग समन्वयक नवनीत बलोदी सहित विद्यालय का समस्त शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर स्टाफ उपस्थित रहा। कार्यक्रम ने विद्यार्थियों में अपनी लोक संस्कृति के प्रति गर्व, संवेदनशीलता और संरक्षण की भावना को और अधिक सुदृढ़ किया।



