नवीन चौहान
उत्तराखंड पुलिस के जवानों को ठुल्ला शब्द से समाचार प्रकाशित करने पर एक न्यूज पोर्टल के संपादक और संवाददाता को हरिद्वार के एक अधिवक्ता ने नोटिस जारी किया है। अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने पुलिस के सम्मान में पोर्टल संचालक को नोटिस भेजते हुए उक्त प्रकाशित समाचार का खंडन प्रकाशित करने की बात कही है। इससे पूर्व भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पुलिस को ठुल्ला बोलने के बाद मुसीबत का सामना कर चुके है। आखिरकार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी खेद व्यक्त कर उपना पीछा छुड़ाना पड़ा था।
बुधवार को हरिद्वार के रोशनाबाद जिला एवं सत्र न्यायालय के अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने एक न्यूज पोर्टल के संचालक व संवाददाता को नोटिस जारी किया। नोटिस में बताया गया कि उत्तराखंड पुलिस के जवानों का इतिहास बलिदान का रहा है। खाकी के बहादुर जवानों ने जनता की सेवा और सुरक्षा के लिए कई बार अपने प्राणों को उत्सर्ग किया है। हरिद्वार के रूड़की गंगनहर कोतवाली में तैनात बहादुर कांस्टेबल सुनित नेगी ने बदमाशों से मुकाबला करते हुए अपने जान गवां दी थी। वही दिल्ली के बदमाश जो कि एक बालक का अपहरण करके हरिद्वार लाए थे उसको छुड़ाने को लिए कांस्टेबल विवेक यादव ने बदमाशों से मुकाबला किया। कांस्टेबल विवेक यादव जख्मी हो गए और बदमाशों को दबोच लिया। जिसके चलते कांस्टेबल विवेक यादव को राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा पूर्व डीएसपी जेपी जुयाल ने भी बदमाशों में खौफ पैदा किया और खाकी का मान बढ़ाया। ये तो चंद पुलिसकर्मियों की उपलब्धियां है। लेकिन उत्तराखंड पुलिस का इतिहास बहादुरी की कहानी बयां करता रहा है। अपने नोटिस में अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने बताया कि 20 अगस्त 2019 को एक हाईकोर्ट एक्सक्लूसिव ठुल्लों ने वकील को घर में घुसकर ठोंका। हाईकोर्ट बोला करो करो एफआईआर नाम से एक समाचार अपने पोर्टल में प्रकाशित किया गया। जो कि उत्तराखंड पुलिस की छवि को धूमिल करते हुए प्रकाशित कराया गया है। जिसमें यह आरोप लगाया गया कि एसएसपी पौड़ी को माननीय उच्च न्यायालय ने दोषी पुलिसकर्मियों के विरूद्ध दो दिन में एफआईआर दर्ज करें और उसकी रिपोर्ट अगली सोमवार को कोर्ट में पेश करें। परंतु आपके द्वारा घिनौना व अपमानित करने वाला समाचार पुलिस विभाग को ठुल्लो जैसा शब्द जानबूझकर लिखा गया है। जबकि माननीय हाई कोर्ट ने अपने आदेश में पुलिसकर्मी शब्द का प्रयोग किया है। अधिवक्ता ने कहा कि आपके अपने समाचार में पुलिसकर्मियों को ठुल्ला जैसा शब्द प्रयोग करके अपमानित किया है। जो कि मानहानि और अपराध की श्रेणी में आता है। अधिवक्ता ने बताया कि उक्त समाचार अपने मोबाइल में पढ़ा तो बेहद कष्ट हुआ और मानसिक प्रताडना हुई है। उन्होंने उक्त नोटिस मिलने के तीन दिनों के भीतर प्रकाशित समाचार पर खेद व्यक्त करते हुए खंडन प्रकाशित करें। फिलहाल इस पूरे प्रकरण पर उत्तराखंड पुलिस की निगाहे जमी है। बताते चले कि पुलिसकर्मी जनता की सेवा सुरक्षा में तैनात रहे है। खाकी वर्दी पुलिस का गौरव है। ऐसे में उनको किसी दूसरे शब्द का प्रयोग करना बेहद ही कष्टकारी कहा जा सकता है।पुलिस का सम्मान करना सभी नागरिकों का प्रथम कर्तव्य भी बनता है।