हरिद्वार। विजयादशमी पर्व पर धर्मनगरी के सभी दशनामी अखाड़ों में पूरे विधि विधान से शस्त्रों की पूजा अर्चना की गई। शस्त्रों का मंगल तिलक लगाकर पंचोपचार पूजन किया गया। पूजा अर्चना के बाद इन सभी शस्त्रों को एक बार फिर सुरक्षित स्थान पर अखाड़े के भीतर रख दिया गया।
बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व विजयादशमी पर हरिद्वार के सभी दशनामी अखाड़ों में रौनक दिखाई दी। प्रात: सभी शस्त्रों को शास्त्रागार से निकालकर साफ सफाई की गई। इसके पश्चात अखाडे के महंतों ने विधि विधान से शस्त्र पूजन किया।
अखाडों में क्या है शस्त्र पूजन का इतिहास
अखाडों में शस्त्र पूजन का काफी पुराना इतिहास है। मुगल आततायियों द्वारा आक्रमण किए जाने के समय देश रक्षा के लिए संतों ने शास्त्र केसाथ शस्त्र उठाया। शास्त्र ज्ञान के साथ संतों को शस्त्र विद्या के लिए एक दल का गठन किया गया जिसे दावा कहा जाता था। जहां साधु एकत्रित होकर स्युद्ध की कला व शस्त्र विद्या का ज्ञान सिखते थे। युद्ध विद्या को सिखने के कारण ही उस स्थान को अखाडा कहा जाने लगा। संतों ने राजाओं का साथ देने के लिए अनेक युद्ध लडे। राजाओं का साथ देने व देश रक्षा से प्रसन्न होकर राजाओं ने संतों को धन-सम्पदा, जमीन, हवेली आदि दान दिए। जिनकी कहानी आज भी अखाडों का वैभव देखकर सुनी जा सकती है। तभी से लेकर आज तक इस परम्परा का निर्वहन संत समाज करता चला आ रहा है। शक्ति की उपासना के पर्व विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की परम्परा को निभाते हुए शनिवार को सभी दशनामी अखाडों ने शस्त्र पूजन किया। इसी के साथ संतों ने गोला पूजन कर अपनेआराध्य की उपासना की।
पुलिस ने भी किया सामाजिक रावणों के वध को शस्त्र पूजन
जहां तीर्थनगरी में वैश्य समाज के लोगों ने तराजू आदि का पूजन किया वहीं सतों ने शस्त्र पूजन कर सदियों पुरानी परम्परा को निभाया। इसी के साथ पुलिस प्रशासन ने भी शस्त्र पूजन किया। समाज में फैले रावणों का अंत करने के लिए शस्त्र पूजन किया। वहीं 46वीं वाहिनी पीएसी में एडीजी कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने भी शस्त्र पूजन किया।