न्यूज 127, देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट और सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” अभियान किसी भी स्थिति में कागज़ी औपचारिकता बनकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह जनता की समस्याओं के समाधान का निर्णायक मंच बने। उन्होंने कहा कि दिव्यांग, बुजुर्ग, महिलाओं एवं कमजोर वर्ग के वे लाभार्थी जो शिविरों तक नहीं आ सकते, उनके घर तक अधिकारी स्वयं पहुँचें, मौके पर ही आवेदन भरवाएँ और समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में अभियान की विस्तृत समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस समीक्षा का उद्देश्य अभियान को और अधिक गति देना, उसे परिणाम-केंद्रित बनाना और आम जनता तक वास्तविक लाभ पहुँचाना है। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि यह कार्यक्रम निरीक्षण का नहीं, बल्कि सेवा, संवाद और समाधान का मंच है। बैठक में सचिव विनोद कुमार सुमन एवं अपर सचिव बंशीधर तिवारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने निर्देश दिए कि शिविरों की सूचना पूर्व से व्यापक स्तर पर दी जाए और इन्हें उत्सव के स्वरूप में आयोजित किया जाए। गढ़वाली, कुमाऊँनी सहित स्थानीय बोलियों में प्रचार-प्रसार अनिवार्य हो, ताकि अधिक से अधिक लोग सहजता से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि जनता को आवेदन के लिए भटकना न पड़े और हर समस्या के समाधान की स्पष्ट समयसीमा तय की जाए।
सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि जहाँ समाधान तत्काल संभव हो, वहाँ मौके पर ही कार्रवाई की जाए और जहाँ समय लगे, वहाँ लाभार्थी को समयसीमा सहित स्पष्ट जानकारी दी जाए। यदि किसी क्षेत्र से फीडबैक संतोषजनक नहीं आता, तो वहाँ दोबारा कैंप लगाया जाएगा। उन्होंने महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों, युवक मंगल दलों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अभियान में अब तक 56,550 से अधिक लोग भाग ले चुके हैं। उन्होंने हाल ही में बिना पूर्व सूचना अल्मोड़ा के शिविर में पहुँचकर स्वयं फीडबैक लिया और आगे भी औचक निरीक्षण जारी रखने की बात कही।
उन्होंने निर्देश दिए कि साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाए, धीमी गति वाले विभागों को चिन्हित किया जाए और डीएम/सीडीओ बिना सूचना के शिविरों में पहुँचें। बड़े न्याय पंचायतों, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त कैंप, आधार अपडेट, आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधाएँ अनिवार्य हों।
दिव्यांग, बुजुर्ग और कमजोर वर्ग तक खुद पहुँचे प्रशासन: मुख्यमंत्री धामी



