देवभूमि विकास संस्थान की संगोष्ठी ‘गंगधारा 2.0’ में जनजातीय संस्कृति और सामाजिक संवाद का अद्भुत संगम




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डीएवी विद्यालय के विद्यार्थियों ने ‘जनजातीय उत्तराखंड’ पर मनमोहक नृत्य-नाटिका से जीता दिल

न्यूज 127, देहरादून
देवभूमि विकास संस्थान, देहरादून द्वारा ‘गंगधारा 2.0 – विचारों का अविरल प्रवाह एवं प्री-वेडिंग काउंसलिंग : समझ और संवाद’ विषय पर एक दिवसीय भव्य संगोष्ठी का आयोजन उत्तराखंड संस्कृति विभाग के सभागार में किया गया। कार्यक्रम में सामाजिक संवाद, पारिवारिक समझ और सांस्कृतिक गौरव का संतुलित समन्वय देखने को मिला।

कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रहा डीएवी पब्लिक स्कूल, देहरादून के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत ‘जनजातीय उत्तराखंड’ विषय पर आधारित लघु नृत्य-नाटिका। इस प्रस्तुति का उद्देश्य उत्तराखंड की पाँच प्रमुख जनजातियों—जौनसारी, भूटिया, थारू, बोक्सा और राजी—की पारंपरिक कला, जीवनशैली, व्यवसाय और सांस्कृतिक विरासत को जनमानस तक पहुँचाना था।

नृत्य-नाटिका का सबसे भावपूर्ण प्रसंग वह रहा, जिसमें प्रकृति संरक्षण की प्रतीक स्व. गौरा देवी (चिपको आंदोलन की प्रेरक) और मातृभूमि की रक्षा में बलिदान देने वाले स्व. माधव सिंह भंडारी की प्रेरणादायी गाथा प्रस्तुत की गई। इस मनमोहक मंचन ने पूरे सभागार को भावविभोर कर दिया और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर की अद्भुत झलक सभी के सामने रखी।

कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड जनजातीय दिवस के उपलक्ष्य में गौरा देवी के शताब्दी वर्ष पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सभागार में लगाए गए पोस्टर पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं की सक्रिय भूमिका का सशक्त संदेश दे रहे थे।

इस अवसर पर डीएवी की प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया, राकेश ओबराय, वीरेंद्र सिंह कृषाली, जगमोहन सिंह राणा, मनोहर सिंह रावत और खुशहाल सिंह पुंडीर को गौरा देवी स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक उमेश शर्मा काऊ, विनोद चमोली, बृजभूषण गैरोला, सविता कपूर, साहित्य परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट, पूर्व मेयर सुनील उनियाल गामा सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

अपने प्रेरणादायी संबोधन में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्री-वेडिंग काउंसलिंग की महत्ता, वैवाहिक जीवन में संवाद की भूमिका तथा सामाजिक संरचना के सुदृढ़ीकरण पर विशेष प्रकाश डाला। इस संगोष्ठी का सह-आयोजन दून विश्वविद्यालय, देहरादून के मनोविज्ञान विभाग द्वारा किया गया। आयोजन न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक मूल्यों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ।