मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से भी नही थमेगा भाजपा का भूचाल




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गगन नामदेव
उत्तराखंड भाजपा में आया भूचाल चेहरा बदलने से थमने वाला नही है। क्योकि महत्वकांक्षा जब इंसान के दिमाग पर हावी होती है तो उसको सत्य और असत्य में अंतर समझ नही आता। कुछ ऐसा ही उत्तराखंड में हो रहा है। नाराज विधायकों की महत्वकांक्षा को परवान चढ़ाने के लिए भाजपा हाईकमान ने त्रिवेंद्र को इस्तीफा देने के लिए तो राजी कर लिया। लेकिन विधायकों के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा को कैसे काबू किया जायेगा। मुख्यमंत्री बनने के लिए तो उत्तराखंड के सभी विधायक लालायित है। हालांकि इस पूरे राजनैतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस को चुनावी मुददा जरूर मिल गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो चुटकी लेनी शुरू भी कर दी है। फिलहाल केबिनेट मंत्री धन सिंह रावत को देहरादून बुलाने के लिए हैलीकाप्टर भेज दिया गया है।
उत्तराखंड में मुखिया बदलने की परंपरा एक बार फिर दोहराई जा रही है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम के आगे पूर्व सीएम लगने में कुछ देर का वक्त है। जिसके बाद उत्तराखंड को एक नया मुख्यमंत्री देखने को मिलेगा। उत्तराखंड पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। नई ​स्टेशनरी, नये पोस्टर बैनर छपेंगे। नए मुख्यमंत्री के नाम के साथ ही भाजपा सरकार अपने चार साल पूरे होने का जश्न मनायेगी। चेहरा बदलने से असंतुष्ट विधायक भी शांत नजर आयेगे। त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रति उनका आक्रोष थम जायेगा। लेकिन अगर हकीकत में देखा जाए तो त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चार साल की पारदर्शी सरकार की चर्चा जरूर होगी। उत्तराखंड का इतिहास भाजपा की इस गलती को जरूर याद रखेगा। नेतृत्व परिवर्तन कुछ गलत लोगों के मंसूबों को पूरा करने के लिए किया गया। लेकिन जनहित की बात करें तो त्रिवेंद्र सिंह रावत एक ईमानदार मुख्यमंत्री के रूप में याद किए जायेंगे। आखिरकार बदलाव के लिए ​किया गया विधायकों का असंतोष उत्तराखंड की भाजपा को साल 2020 के चुनाव में देखने को मिलेगा। प्रचंड बहुमत की सरकार और कांग्रेसी नेताओं से मिलकर बनी सरकार को अपना मुख्यमंत्री बदलने के लिए विवश होना पड़ा।