न्यूज 127. देहरादून
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्डी लोकसंस्कृति और विकास के संगम को दर्शाते हुए “पैंली-पैंली बार” उत्तराखण्डी गीत का विधिवत विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी लोकगायकों, कलाकारों और संगीतकारों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह गीत सरकार द्वारा किए गए ऐतिहासिक और विकासपरक कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि लोकगीत समाज से सीधे संवाद का सशक्त माध्यम होते हैं। “पैंली-पैंली बार” जैसे गीतों के माध्यम से न केवल उत्तराखण्ड की समृद्ध लोकसंस्कृति का संरक्षण होगा, बल्कि सरकार द्वारा पहली बार किए गए अनेक महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी भी आम लोगों तक सरल और प्रभावी तरीके से पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास समाज में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ विकास की सकारात्मक सोच को भी मजबूत करते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड आज विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और चुनौतियों के बावजूद राज्य ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्टार्टअप, कृषि, बागवानी, पर्यटन, तीर्थाटन और रिवर्स पलायन जैसे क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। राज्य सरकार द्वारा लिए गए कई निर्णय आज अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन रहे हैं। उन्होंने लोक कलाकारों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि सरकार उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति, भाषा और परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
“पैंली-पैंली बार” गीत में उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार हुए कई बड़े और साहसिक विकास कार्यों को रेखांकित किया गया है। गीत में नकल विरोधी कानून, सरकारी भूमि से बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई, धर्मांतरण विरोधी कानून, समान नागरिक संहिता (UCC), शीतकालीन यात्रा, पर्यटन एवं तीर्थाटन को बढ़ावा, आदि कैलाश यात्रा, रिवर्स पलायन को प्रोत्साहन, राजस्व वृद्धि, किसानों को दी गई सुविधाएं तथा सरकारी सेवाओं में हुई नियुक्तियों जैसे विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
गीत के बोल उत्तराखण्ड के समग्र विकास की कहानी कहते हैं और यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार योजनाबद्ध तरीके से राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा रहा है। साथ ही इसमें सरकार के वर्तमान अभियान “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” की भावना को भी लोकधुन के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
इस गीत में उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकगायक सौरभ मैठाणी, गोविन्द दिगारी, राकेश खनवाल, ललित गित्यार, भूपेन्द्र बसेडा, मनोज सामन्त, चन्द्रप्रकाश एवं लोकगायिकाएं खुशी जोशी और सोनम ने अपनी सशक्त आवाज दी है। गीत के बोल और धुन भूपेन्द्र बसेडा द्वारा रचित हैं, जबकि संगीत संयोजन ललित गित्यार ने किया है। उत्तराखण्डी लोकधुन पर आधारित यह गीत कर्णप्रिय होने के साथ-साथ विकास संदेश को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है।
कार्यक्रम में दायित्वधारी कैलाश पंत, लोकगायक सौरभ मैठाणी, गोविन्द दिगारी (वर्चुअल), खुशी जोशी दिगारी (वर्चुअल), भूपेन्द्र बसेडा, ललित गित्यार, राकेश खनवाल, चन्द्रप्रकाश, सोनम, कुंदन कोरंगा, बसंत तिवारी, नवीन जोशी, पूरन नगरकोटी, भागीरथी नगरकोटी, मीनाक्षी जोशी, मोहित जोशी, संगीतकार सुरेन्द्र बिष्ट सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने ‘पैंली-पैंली बार’ उत्तराखण्डी गीत का किया विमोचन



