मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की सरकार, गैर-पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्रों पर करेगी करारा प्रहार




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न्यूज127
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देशों के बाद उत्तराखंड में गैर-पंजीकृत और मानकों से नीचे चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है। स्वास्थ्य विभाग, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और एसटीएफ ने संयुक्त रणनीति तैयार कर दी है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना मानकों के चल रहे केंद्रों को अब छूट नहीं मिलेगी – या तो वे तय मानदंडों को पूरा करें या बंद होने के लिए तैयार रहें।
राज्यभर में अनेक ऐसे नशा मुक्ति केंद्र संचालित हो रहे हैं जो न केवल पंजीकरण से वंचित हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास के मानकों का भी उल्लंघन कर रहे हैं। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों एवं एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने भाग लिया। बैठक में अपंजीकृत केंद्रों की पहचान, उनके खिलाफ कार्रवाई और समन्वित जांच प्रक्रिया को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
हर जनपद में सघन जांच अभियान, एसटीएफ भी होगी सक्रिय

अब सभी जिलों में औचक निरीक्षण की गति बढ़ाई जाएगी और राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण को एसटीएफ का सहयोग भी मिलेगा। जिला स्तर पर गठित निरीक्षण टीमों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे केंद्रों की सूची तैयार की जाए जो बिना वैध अनुमति चल रहे हैं।

मानकहीन केंद्रों पर होगी सख्त कार्रवाई

संयुक्त निदेशक डॉ. एस. डी. बर्मन एवं सहायक निदेशक डॉ. पंकज सिंह ने स्पष्ट किया कि मनमाने ढंग से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर आर्थिक दंड से लेकर त्वरित बंदी तक की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कार्रवाई मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम के अंतर्गत की जाएगी।

“गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं” – स्वास्थ्य सचिव
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा स्पष्ट है – नशा मुक्ति केंद्रों को शेल्टर होम की तरह नहीं, बल्कि पुनर्वास की जिम्मेदारी निभाने वाली संस्था के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि राज्यभर में संचालित केंद्रों की नियमित निगरानी हो और न्यूनतम निर्धारित मापदंडों को न मानने वाले केंद्रों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।

नशा मुक्त उत्तराखंड की दिशा में निर्णायक कदम
धामी सरकार की ओर से चलाया जा रहा यह अभियान केवल औपचारिक निरीक्षण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें जनहित को प्राथमिकता देते हुए कठोर प्रशासनिक निर्णय लिए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है – नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई और पुनर्वास सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।