उत्तराखंड की सियासी पिच पर धुआंधार बल्लेबाजी कर रहे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत




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नवीन चौहान

उत्तराखंड की सियासी पिच पर मुख्यमंत्री​ तीरथ सिंह रावत धुआंधार बल्लेबाजी कर रहे है। हरिद्वार से लेकर गढ़वाल व कुमाऊं में चारों तरह जबरदस्त शॉट लगा रहे है। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्होंने कई चौंके छक्के जड़ दिए। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हिट विकेट होने के बाद बल्लेबाजी करने आए ​तीरथ सिंह रावत की सियासी पारी शुरू हो चुकी है। सबसे बड़ी यह है कि तीरथ सिंह का मनोबल बढ़ाने के लिए उनकी पत्नी रश्मि त्यागी रावत उनका साथ निभा रही है। लेकिन तीरथ सिंह रावत की सबसे बड़ी चुनौती उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना, पलायन रोकना और नौजवानों को रोजगार देने की है। इसी के साथ अपने ही विधायको के मंसूबों को पूरा करने की है।
उत्तराखंड में हाल ही दिनों में नेतृत्व परिवर्तन हुआ। भाजपा के तमामन विधायकों की नाराजगी के बाद भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह सूबे की कमान तीरथ सिंह रावत को दी गई। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहला कार्य कुंभ पर्व 2021 में सभी देशवासियों को स्नान के लिए आमंत्रित करने का किया। जिसके बाद संत समाज और हरिद्वार के तमाम व्यापारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री के इस निर्णय की सराहना हुई। संतों ने भी मुख्यमंत्री का दिल खोलकर स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने दूसरा कार्य त्रिवेंद्र सरकार के चार साल के जश्न को निरस्त करते हुए विकास कार्यो को प्राथमिकता देने का किया। उनके इस निर्णय से विपक्ष की बोलती बंद हो गई। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 12 मार्च 2021 को विधिवत तौर पर अपना कार्यभार ग्रहण करने से पहले मुख्यमंत्री कार्यालय में पूजा अर्चना की और कुर्सी को प्रणाम किया। मुख्यमंत्री ने जनता को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वह कुर्सी के सेवक है। जनता सर्वोपरि है। जनता के कार्यो को ही पहली प्राथमिकता दी जायेगी और उनकी समस्या का निस्तारण होगा। जीरो टालरेंस की मुहिम में भ्रष्टाचार की कोई जगह नही होगी। तीरथ सिंह रावत के तमाम निर्णयों को सुर्खिया मिली। सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से सराहा गया। मुख्यमंत्री की धुआंधार बल्लेबाजी से सभी भाजपा विधायक पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रहे है। उन्होंने चार विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल करके उनको भी खुशी प्रदान कर दी। लेकिन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा को उत्तराखंड के विधायकों के गलत मंसूबों को काबू करने की है। जिसके चलते नेतृत्व उत्तराखंड में नेतृत्व परिर्वतन किया गया। विधायकों में नाराजगी रही। क्या विधायक अपने मन पंसद नौकरशाहों को जिले की कुर्सी पर लाने में कामयाब हो पायेंगे। सबसे बड़ा सवाल है। तीरथ सिंह रावत का सरल व्यक्तित्व बरकरार रह पायेगा या फिर उनको भी अपने स्वभाव में परिवर्तन लाकर कड़क छवि पेश करनी होगी। फिलहाल तो पिच ​तीरथ के अनुकूल है। वह बल्लेबाजी भी अच्छी कर रहे है। देखना होगा कि साल 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता के मैच में जीत दर्ज करा पायेंगे। खुद उप चुनाव में हाफ सेंचुरी बना पायेंगे। सियासी मैच रोमांचक हो चला है। कांग्रेस भी वाउंसर फेंकने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस और अपने ही पार्टी के विधायकों के बीच तीरथ सिंह रावत को एक शानदार पारी खेलने होगी।