हरिद्वार में भ्रष्टाचारः मनरेगा के लिए जवान और पेंशन के बुजुर्ग, देंखे वीडियो




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नवीन चौहान
हरिद्वार के एक गांव में भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। गांव के ही व्यक्ति मनरेगा का पैंसा हड़पने के लिए जवान और बुजुर्ग बन रहे है। जी हां ​इन व्यक्तियों ने मनरेगा की राशि लेने के लिए अपनी आयु बेहद कम दिखाई है। जबकि वास्तविकता में वह पेंशन ले रहे है। ये लोग गलत आंकड़ों के आधार पर पिछले 8 या 9 साल से पेंशन के साथ मनरेगा में मजदूरी का धन हड़प रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि विकलांग भी मनरेगा में काम कर मजदूरी ले रहा है। ये मामला हरिद्वार जनपद के भगवानपुर ब्लाॅक के गांव हसनावाला का है। इसी गांव में मनरेगा के कार्यों में भी अनियमितता सामने आई है।
भगवानपुर ब्लाॅक के गांव हसनावाला में मामला सामने आया है। जिसमें गांव निवासी शराफत पुत्र मजीद वृद्ध पेंशन पाने के लिए 72 साल का है और मनरेगा में मजदूरी के लिए 34 साल का है। इसी प्रकार अदरीश पुत्र फकीरा पेंशन के लिए 88 साल का है तो मनरेगा में 45 साल का है। अदरीश पुत्र मजीद वृद्ध पेंशन के लिए 95 साल का है तो मनरेगा के रजिस्टर में आयु 59 साल की है। अब्दुल हफीज पुत्र मो इस्माइल पेंशन के लिए 64 साल का तो मनरेगा में 33 साल का है।
लियाकत पुत्र मजीद पेंशन के लिए 70 साल तो मनरेगा में 42 साल का है।
तासीन पुत्र मो उमर पेंशन में 64 साल तो मनरेगा में 46 साल का है।
तहसीन पुत्र यमीन पेंशन के लिए 64 साल तो मनरेगा के लिए 46 साल का है।
शब्बीर पुत्र नजीर पेंशन के लिए 71 साल तो मनरेगा के लिए 40 साल का है।
नजीर पुत्र वशीर पेंशन के लिए 70 साल तो मनरेगा के लिए 64 साल का है।
विकलांग भी मनरेगा में शामिल
गांव हसनावाला का विकलांग युवक ने 60 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र बनाया हुआ है। वह विकलांग पेंशन के साथ मनरेगा में भी मजदूरी कर रहा है। उसकी पत्नी एक मदरसे में मीड-डे मील में काम करती है तो साथ ही मनरेगा में भी काम कर रही है।
जिलाधिकारी सी रविशंकर ने इस पूरे प्रकरण को बेहद ही गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस प्रकरण की बारीकी से जांच कराने के लिए निर्देशित कर दिया है।