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उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर सालों साल श्रद्धालु भगवान के बुलावे का इंतजार करते है। प्रभु जिनको अपने पास बुलाता चाहता है तो वही दर्शन करने जा पाता है। ऐसा ही एक बुजुर्ग दंपति तीन सालों से चारधाम यात्रा के दर्शनों के लिए इंतजार कर रहा था।
बेटे से कहा तो वक्त और संजोग नहीं बन पाया। उम्र के इस पड़ाव में बुजुर्ग दंपति के चारधाम यात्रा पर जाने की आस भी अधूरी सी लगने लगी थी। लेकिन बहू ने उत्साह दिखाया और सास ससुर को चारधाम यात्रा पर ले जाने का संकल्प किया तो बेटा भी पीछे—पीछे आ गया। चारधाम यात्रा की रवानगी से पहले बहू और सास, ससुर के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी। आखिरकार उनके मन की मुराद जो पूरी हो रही थी।
हरिद्वार के माया देवी प्रांगण में चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों की पूजा अर्चना का सिलसिला जारी था। तभी एक महिला अपने सास ससुर के गले में फूल माला पहनाकर और पैर छूकर आशीर्वाद ले रही थी। भारतीय संस्कृति और संस्कारों में बुजुर्गो से आशीर्वाद लेने के पीछे का स्वार्थ अपने जीवन में खुशहाली, स्वस्थ जीवन और दीर्घायु होता है। ऐसा ही यह बहू बड़े उत्साह के साथ कर रही थी।
सास ससुर लखनऊ की रहने वाली है। जबकि बहू नोयडा में रहती है। बहू ने बताया कि उनके सास ससुर की इच्छा चारधाम यात्रा पर जाने की कई सालों से थी। पति देव समय नही होने को लेकर टालते रहते थे। बहू ने कहा कि मै आपको चारधाम दर्शन कराने चलूंगी। जिसके बाद हरिद्वार का प्रोग्राम बना लिया और वाहन की बुकिंग करा ली। कुछ दिनों मेरे पति ने भी चारधाम चलने के लिए हां कर दी। तो पूरा परिवार चारधाम यात्रा पर जा रहा है।
यात्रियों ने कहा कि हरिद्वार प्रशासन की तमाम व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद अब हम यात्रा पर जा रहे हैं। सास ने कहा कि मेरी बहू नहीं बेटी है। मेरी बेटी ने मेरे मन की इच्छा को पूरा किया और दिल से ढेर सारा आशीर्वाद है।