नवीन चौहान
एसएमजेएन पीजी काॅलेज में करवाचौथ की पूर्व संध्या पर महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करते हुए उनके लिए मौद्रिक सम्मान दिलाने की बात कही। प्राचार्य डा एसके बत्रा ने इसके लिए आर्थिक कोष का निर्माण बनाने की मांग उठाई।
परिचर्चा में प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि हमारे देश में ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमयन्ते तत्र देवता’ की परम्परा है। स्त्री पूजनीय है, महिला को वह सम्मान अवश्य मिलना चाहिए जिसकी वह अधिकारी है तथा आर्थिक स्वायत्तता एवं सम्मान हेतु ‘बेटी बचाओे, बेटी पढ़ाओं और बेटी को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाओ’, नारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हाउस वाईफ के स्थान पर ‘फैमिली मैनेजर’ के पदनाम से सम्बोधित किया जाना चाहिए। डाॅ. बत्रा ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में स्त्री धन को दिवालिया घोषित होने पर भी अन्य सम्पत्तियों में इसको अटैच नहीं किया जा सकता। संचालन करते हुए डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने यह समय तथा वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की महती आवश्यकता है कि महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।
मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक ने महिला सम्मान एवं समानता के लिए मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए, यह महिला हित में एक सकारात्मक प्रयास सिद्ध होगा।
अंग्रेजी विभागाध्यक्ष ने डाॅ. नलिनी जैन ने कहा कि भावप्रद कार्य एवं सहयोग अमूल्य है जिनका मूल्याकंन आर्थिक रूप से करना सम्भव नहीं है।
इस मौके पर एनएसएस की संयोजिका डाॅ. सुषमा नयाल, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने विचार रखे। छात्र-छात्राओं में आस्था भट्ट, अनिल कटारियाल, रूपाली, आशा भट्ट, साक्षी अग्रवाल, शशि, संजीव कुमार, साहिबा वाधवा, सौम्या आदि ने प्रतिभाग लिया।