ई-डिस्ट्रिक्ट कर्मी की पत्नी का गर्भपात, महिला आयोग से शिकायत




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पौडी।
तहसील पौड़ी के ई-डिस्ट्रिक्ट में तैनात एक कार्मिक के परिवार की आर्थिक बदहाली अब गंभीर मानवीय त्रासदी में बदल गई है। जनवरी 2025 से मानदेय न मिलने से जूझ रहे ई-डिस्ट्रिक्ट कार्मिक के परिवार पर इसका सीधा असर पड़ा है। आर्थिक तंगी के चलते समय पर इलाज न हो पाने से उनकी पत्नी का दो माह का गर्भपात हो गया। इस मामले को लेकर पीड़िता ने तहसील प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए राज्य महिला आयोग से न्याय की गुहार लगाई है।
शिकायत में पीड़िता ने बताया कि उनके प
ति तहसील पौड़ी के ई-डिस्ट्रिक्ट में सेवारत हैं, लेकिन उन्हें बीते एक साल से मानदेय नहीं मिला है। परिवार की आय का एकमात्र स्रोत यही मानदेय है, जो प्रति कार्य दिवस मात्र 250 रुपये है। अवकाश के दिनों का भुगतान भी नहीं किया जाता। पहले से ही बेहद कम मानदेय और वह भी समय पर न मिलना श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है।
बताया कि मानदेय न मिलने के कारण परिवार को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए उधार और कर्ज का सहारा लेना पड़ा। इसी बीच वह गर्भवती हुईं। नवंबर माह में तबीयत बिगड़ने पर चिकित्सकों ने जांच कराने की सलाह दी, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते समय पर जांच संभव नहीं हो सकी। 9 दिसंबर को तबीयत ज्यादा खराब होने पर जिला अस्पताल पहुंचीं, जहां अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इसके बाद श्रीनगर गढ़वाल के एक निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र में जांच कराई गई, जहां चिकित्सकों ने गर्भपात होने की पुष्टि की। कहा कि यदि समय पर मानदेय मिल जाता, तो समुचित उपचार कराया जा सकता था और उनका बच्चा सुरक्षित रहता। उन्होंने इस पूरे मामले को प्रशासनिक लापरवाही, आर्थिक उपेक्षा और एक महिला के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया है। अब उन्होंने राज्य महिला आयोग से हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है।
वहीं इस मामले में संयुक्त मजिस्ट्रेट दीक्षिता जोशी का कहना है ​कि तहसील के ई-डिस्ट्रिक्ट केंद्र में सेवारत कार्मिकों को केंद्र की आय व बजट की उपलब्धता पर मानदेय प्रदान किया जाता है। जनवरी में कार्मिकों को कुछ माह का मानदेय दिया गया था। लेकिन बजट नहीं होने पर कार्मिकों को मानदेय निर्गत नहीं हो पाया है। बजट मिलने पर तत्काल मानदेय प्रदान कर दिया जाएगा।