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उत्तराखंड सरकार में केबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल के विवादित बयान के प्रकरण को धामी सरकार व भाजपा ने ड्रैमेज कंट्रोल करने का बहुत प्रयास किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटट की ओर से बचाव के पूरे प्रयास किए गए। लेकिन सरकार व संगठन इस प्रकरण को शांत कराने में नाकाम रहे। प्रदेश में आंदोलन शुरू हो गए। आंदोलनों की हवा जोर पकड़ने लगी। विपक्षी पार्टी कांग्रेस से ज्यादा आंदोलन प्रेमचंद्र के खिलाफ समाजसेवी संस्थाओं की ओर से किए गए। पहाड़ और तराई का मुददा बनाना शुरू कर दिया। लेकिन तमाम अटकलों के बीच अचानक प्रेमचंद्र के इस्तीफे ने मामले को पूरी तरह से शांत कर दिया। लेकिन कांग्रेस की ओर से अब इस्तीफे के प्रकरण पर राजनीति शुरू कर दी गई है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सीनियर लीडर हरीश रावत ने तो बाकायदा बयान जारी कर दिया।
हरीश रावत ने कहा कि अंहकार का यही नतीजा निकलता है। जब आपका अपनी वाणी व शब्दों पर स्वयं ना हो तो फिर कैसे राजनेता है। भाजपा के मंत्रियों में जो अंहकार आ गया वह अकेले प्रेमचंद्र में नही है। ये इस तरह की भाजपा में प्रेमचंद्र के शब्दों में आया। उनके शब्दों के घाव को उत्तराखंड कभी नही भूलेगा। मैं इन शब्दों से खुद बहुत आहत हूं।
इस्तीफा देकर भाजपा ने एक बड़ी फजीहत से बचा लिया। लेकिन जनता माफ नही करेगी। भाजपा ने बचाने का हरसंभव प्रयास किया।पहाड़ी मैदानी रूप देनी की कोशिश की। नारसन से लेकर भटबाड़ी तक, जसपुर से लेकर मुनस्यारी तक हर कोई नाराज है।
इससे तो यह साफ हो गया कि कांग्रेस इस प्रकरण में राजनीति करने के मूड में आ चुकी है। जबकि प्रेमचंद्र अग्रवाल की राजनीति को बहुत बड़ा झटका है। जबकि भाजपा का ही एक खेमा मंत्रीमंडल में अपनी जगह तलाशने लगा है।
प्रेमचंद्र प्रकरण में ड्रैमेज कंट्रोल करने के प्रयास में नाकाम, इस्तीफे से लगेगा वीराम



