सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
न्यूज 127, मेरठ।
21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम “ब्लू होराइजन्सः मत्स्य पालन एवं एक्वाकलचर में उद्यमिता और अवसर का विधिवत उद्घाटन डॉ. के.के. सिंह, कुलपति सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ, डॉ. एच.एस. सिंह पूर्व कुलपति माँ शाकुम्भरी देवी विश्वविद्यालय सहारनपुर, डॉ. रामजी सिंह कुलसचिव, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ, डॉ पी.के. सिंह, निदेशक प्रसार, डॉ. कमल खिलाड़ी, निदेशक शोध, डॉ. विवेक धामा, अधिष्ठाता कृषि द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर कुलपति डॉ केके सिंह ने सभी सैनिकों का परिचय प्राप्त किया। अपने संबोधन में कुलपति डॉ केके सिंह ने कार्यक्रम समन्वयक डॉ डीवी सिंह, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष को कार्यक्रम में तालाब निर्माण, डाईवैलू मत्स्य प्रजाति, मार्केटिंग, पानी की गुणवत्ता, कोल्ड चेन, प्रोसेसिंग, सरकार की योजना इत्यादि पर अधिकतम एक्सपोजर सैनिकों की कराने हेतु निर्देशित किया।

उन्होंने गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण पर जोर देते हुए बताया कि सम्बन्धित विशेषज्ञ बुलाकर सैनिकों को विधिवत प्रशिक्षण कराया जाये। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रेरणा सिकरवार, सहायक प्राध्यापक तकनीकी महाविद्यालय द्वारा किया गया। इस अवसर पर कुलपति डॉ के.के. सिंह ने बताया कि जीडीपी में भी मत्स्य उत्पादन का बहुत योगदान है। मत्स्य पालन में उद्धमिता विकास की अपार संभावनायें है। मत्स्य पालन से प्रोसेसिंग तक रोजगार एवं उद्यम के कई संभावनायें है।
डॉ. एचएस सिंह, पूर्व कुलपति मां शाकुम्भरी देवी ने मत्स्य रोग के बारे में बताया। डॉ. एचएस सिंह परजीवी से मछलियों को बचाने के उपाय तथा प्रबंधन पर भी जोर दिया। डॉ डीवी सिंह ने अपने व्याख्यान में जीरा से अंगुलिका तक मत्स्य बीज के रियरिंग की विधिवत जानकारी दी। डॉ. दीपाली मुदगल, सहायक प्राध्यापक, खाद्य प्रौद्योगिकी मछली उद्योग में उपउत्पाद और अपशिष्ट प्रबंधन से मूल्यवान उत्पाद मछली तेल, चारा और खाद तैयार किये जा सकते है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करता है बल्कि उद्यमिता क नये अवसर भी प्रदान करते है।
कार्यक्रम के अन्त में डॉ. डीबी सिंह ने कुलपत्ति व अन्य सभी उपस्थितिजनों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. विवके धामा, अधिष्ठाता कृषि, डॉ. पंकज कुमार, अधिष्ठाता शुगरकेन, डॉ. यूपी शाही, निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण, डॉ. कमल खिलाड़ी, निदेशक शोध, डॉ. गजे सिंह, प्राध्यापक, कीट विज्ञान, डॉ. राजेन्द्र सिंह प्राध्यापक, कीट विज्ञान, हरिकेश सिंह, ओमानन्द, अलक्षेन्द्र भानु, नीरज कुमार एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद रहे।



