मात्र 2000 रुपये मासिक मानदेय देने पर भड़की भोजनमाता, बोलीं कैसे चले आजीविका




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नवीन चौहान
हरिद्वार की भोजनमाताओं ने मासिक मात्र 2000 रुपये मानदेय के मिलने पर रोशनाबाद में रैली निकालकर आक्रोश जताया। उन्होंने प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले जिलाधिकारी हरिद्वार के माध्यम से श्रम सचिव देहरादून के नाम से ज्ञापन सौंपा।
बृहस्पतिवार को रोशनाबाद में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन हरिद्वार इकाई की अध्यक्ष दीपा ने कहा कि केंद्र सरकार कि मिड-डे-मील की योजना को सरकार ने स्कूलों में लागू किया था। इसके लिए सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल में खाना बनाने हेतु भोजनमाताओं को काम पर रखा था। भोजन माताओं को जो खाना बनाने के एवज में सुविधाएं दी जा रही है, वह इन भोजनमाताओं के काम नहीं चल रहे है। जबकि सरकार के मंत्री संतरी अपनी सुख-सुविधाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करते हैं। भोजन माता पार्वती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 8500 रुपये के लगभग कर रखा है लेकिन हम भोजनमाताओं को कुल 2000 रुपये ही मानदेय दिया जा रहा है और स्कूलों में खाना बनाने के अतिरिक्त स्कूलों के मैदानों व कमरों की साफ-सफाई तक कराई जा रही है। हमें स्कूलों में काम करने के लिए 1 से ढाई घंटे तक का निर्देश लागू किया गया था, लेकिन हमें कार्य के अतिरिक्त समय तक स्कूलों में रोका जाता है। भोजनमाता माला ने कहा कि 11 जनवरी 2020 को उत्तराखंड शिक्षा निदेशक ने सरकार को 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये मानदेय करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। लेकिन अभी तक हमारी समस्त मांगों व समस्याओं पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।

 

उन्होंने चेतावनी दी कि मांगों पर अमल नहीं करती है तो हम समस्त भोजनमाताएं पूरे उत्तराखंड स्तर पर सड़कों पर विरोध करने के लिए बाध्य होंगी। कार्यक्रम में सुमन, राखी, नीता, शिक्षा, लीला, गुड्डी, रिंकू, गीता, कुसुम, निशा, पूनम, मालती, हमीदा, बाला देवी, सीमा, हेमा, बबीता, हंशी, रेशों, नीता, ललिता रचना, संजय, माया आदि शामिल हुई।