गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की अंक सुधार परीक्षा का शासन ने लिया संज्ञान




Listen to this article

नवीन चौहान
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में हुए अंक सुधार परीक्षा प्रकरण का शासन ने संज्ञान लिया है, जांच के लिए खुफिया विभाग की टीम जुट गई है। पूरे प्रकरण में जांच होने पर कार्रवाई तय है। अंक सुधार परीक्षा एक छात्र को लाभ पहुंचाने के लिए कराई गई थी।​ सबसे बड़ी बात यह है कि परीक्षा उत्तीर्ण होने के 6 साल बाद का नियम बनाया और यह नियम मात्र एक साल के लिए बदला गया।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हुए प्रकरण में अपने दामन को बेदाग रखने के लिए बीटेेक और दूसरे विषयों के चुनिंदा बच्चों की भी परीक्षा करा दी। बीटेक में पांच बच्चों ने अंक सुधार परीक्षा दी। एक बच्चे ने तो पांच विषयों में ही परीक्षा दी। तो किसी ने चार और तीन विषयों की परीक्षा दी। नियम बदलने के लिए समिति की बैठक बुलाई। जिसमें कुलपति प्रो रूप किशोर सहित 33 प्रोफेसर सदस्यों ने भाग लेकर नियम पर मुहर लगाई। सात अक्तूबर —2020 को कुलपति प्रो. रूपकिशोर की अध्यक्षता में सीनेट हाल में हुई थी। बैठक में समिति के 33 सदस्यों ने प्रतिभाग किया और 12 प्रस्ताव रखे गए। जिनमें से 8वें नंबर के प्रस्ताव में अंक सुधार परीक्षा का नियम बदला गया।
विश्वस्त सूत्रों से जानकारी के अनुसार उक्त प्रोफेसर के बच्चे को दिल खोलकर अंक तक दिए गए है। विचारणीय यह रहा कि गुरूकुल कांगड़ी ने जब इस परंपरा की शुरूआत कर ही दी थी तो इसको इस वर्ष के लिए ही लागू क्यों किया। अगर बच्चों के भविष्य की इतनी ही चिंता थी तो बाकायदा पूर्व के तमाम छात्रों को सूचना क्यों नहीं दी गई। अंक सुधार परीक्षा के मानक इस वर्ष के लिए क्यो लागू किया गया। आगामी सालों तक इस परंपरा को जारी रखने पर सहमति क्यो नहीं दी गई।
गुरुकुल में परिवारवाद हावी
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में हमेशा से परिवारवाद हावी रहा है। अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों को नौकरी और मकान दिलाने का मामला हमेशा से चलता आया है। अब एक प्रोफेसर के बच्चे को अंक सुधार परीक्षा कराने के लिए नियम ही बदल दिया।
परीक्षा अंक सुधार के लिए 8 नंबर पर रखा गया था ये प्रस्ताव
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि अंक सुधार परीक्षा के संबंध में वर्तमान में यह व्यवस्था है कि छात्र—छात्रा तभी अंक सुधार परीक्षा दे सकता है। जब उसने पाठ्यक्रम उत्तीर्ण कर लिया हो तथा उसकी पूर्व में कोई भी रिपीट नहीं रही हो। वह किसी एक प्रश्न पत्र में अंक सुधार दे सकता है। परीक्षा नियंत्रक ने अन्य विश्वविद्यालयों का हवाला देते हुए इसे उस वर्ष तक ही सीमित न रखने का प्रस्ताव किया। यूजीसी के द्वारा पाठ्यक्रम अवधि के अतिरिक्त दो वर्ष की व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने पाठ्यक्रम पास करने के दो वर्षों के अंदर किन्ही दो प्रश्न पत्रों में अंक सुधार की परीक्षा देने की व्यवस्था का प्रस्ताव दिया। उन्होंने पूर्व में कोई रिपीट न होने की बाध्यता को छात्र हित के विरुदृध बताया। इसे समाप्त करने का आग्रह किया। इस नई व्यवस्था के लागू होने के कारण एक अंतिम बार कुलपति के द्वारा पिछले पांच वर्षों की अवधि तक के लिए पूर्व छात्रों को किन्ही दो प्रश्न पत्रों में अंक सुधार का अवसर दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया। प्रो आरडी कौशिक ने इसे पांच वर्षों के स्थान पर 6 वर्षों तक करने की बात कही। यह भी कहा कि यह व्यवस्था सिर्फ एक बार के लिए होगी। भविष्य में पास करने के दो वर्षों के अंदर दो प्रश्न पत्रों में अंक सुधार का एक अवसर दिया जाएगा। अंक सुधार परीक्षा का शुल्क सत्र 2020—2021 से 3000 रुपये होगा। इस प्रस्ताव को प्रो आरडी कौशिक के सुझाव के साथ सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया।