डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, हरिद्वार में ‘वैदिक आनंदोत्सव’ का भव्य आयोजन




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  • डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, हरिद्वार में ‘वैदिक आनंदोत्सव’ का भव्य आयोजन
  • वैदिक हवन यज्ञ की पावन सुगंध से महका विद्यालय प्रांगण, नन्हें प्रतिभागियों ने संस्कार और संस्कृति का दिया संदेश

न्यूज 127, हरिद्वार.
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर, हरिद्वार में दो दिवसीय ‘वैदिक आनंदोत्सव–2025’ का आयोजन दिव्यता, उल्लास और वैदिक परंपरा की गरिमा के साथ शुरू हुआ। हवन की पवित्र अग्नि और वेद-मंत्रों की सस्वर ध्वनि से सम्पूर्ण परिसर गुंजायमान हो उठा। “असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय” के उच्चारण ने वातावरण में शांति, सौम्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संचार किया। स्कूल परिसर वेदों के ज्ञान की सुगंध से गुंजायमान हो उठा। पूरे कार्यक्रम में शिक्षा, संस्कृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला।

डीएवी कॉलेज प्रबंधकर्तृ समिति, नई दिल्ली के तत्वावधान में एवं पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी जी (प्रधान डीएवी सीएमसी एवं कुलाधिपति डीएवी यूनिवर्सिटी, जालंधर) के स्नेहाशिष से आयोजित यह कार्यक्रम प्रेरणादायक रहा। वैदिक हवन यज्ञ से गूंजा परिसर, पवित्र ध्वनियों से भरा वातावरण
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय प्रांगण में वैदिक हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। विद्यालय परिसर में हर दिशा से गूंजती वैदिक संस्कृति की प्रतिध्वनि ने अभिभावकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को भावविभोर कर दिया।

वैदिक आनंदोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सिमरनजीत कौर, सेक्रेटरी डीएलएसए एवं वरिष्ठ न्यायाधीश, जिला एवं सत्र न्यायालय, हरिद्वार ने दीप प्रज्वलन कर किया।
उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि डीएवी संस्थान केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि संस्कारों का तीर्थ है। यहाँ विद्यार्थी ज्ञान के साथ न्याय, करुणा और चरित्र के मूल्यों को आत्मसात करते हैं। उन्होंने अभिभावकों को पॉक्सो एक्ट की जानकारी देते हुए बाल सुरक्षा और संवेदनशीलता की दिशा में जागरूकता बढ़ाने का संदेश दिया।

प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि वैदिक आनंदोत्सव हमारी वैदिक संस्कृति और आधुनिक शिक्षा का ऐसा उत्सव है, जहाँ हमारे नन्हें बच्चे सीखते हैं कि सीखना केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि जीवन के हर अनुभव से होता है। हमारा लक्ष्य है कि प्रत्येक डीएवी विद्यार्थी ज्ञान के साथ संस्कारों से भी संपन्न हो।
उन्होंने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि डाॅ. सुमन पाण्डेय (प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज हरिद्वार), संदीप चौधरी (एचईसी कॉलेज), विद्यालय के सेवानिवृत्त स्टाफ एवं सभी अभिभावकों का हार्दिक स्वागत किया।

नन्हें बच्चों की प्रस्तुति पर अभिभावक हुए भाव-विभोर
नर्सरी से कक्षा 2 तक के नन्हें-मुन्नों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘शुभ दिन आयो रे’ स्वागत नृत्य से आरंभ हुआ कार्यक्रम सांस्कृतिक विविधता और देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण रहा। ‘सरफरोशी की तमन्ना’ समूह नृत्य ने वीर सपूतों के त्याग की भावना जगाई, वहीं भारत दर्शन रैंप वॉक ने विविध वेशभूषाओं में भारत की एकता और संस्कृति को उजागर किया। नन्हें बच्चों द्वारा प्रस्तुत वेद-मंत्रोच्चारण ने सभी को अचंभित कर दिया।
अभिभावकों ने बच्चों की प्रस्तुतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की, कहा कि डीएवी विद्यालय वास्तव में शिक्षा के साथ संस्कारों का पोषण कर रहा है।

उपलब्धियों से सजा सम्मान समारोह
मुख्य अतिथि सिमरनजीत कौर ने शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। विद्यालय के होनहार छात्र भाविन अरोड़ा (कक्षा 2) ने इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में एक पैर पर खड़े होकर हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ कर ‘सुपर टेलेंटेड किड’ का खिताब अर्जित किया। वहीं विद्यालय के 6 वर्ष 10 माह के छात्र ने लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 226 लोगों के साथ सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का रिकॉर्ड स्थापित किया। इन दोनों बाल प्रतिभाओं का विद्यालय मंच पर सम्मान किया गया।

सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना से परिपूर्ण नाट्य प्रस्तुतियाँ

डीएवी स्कूल के बच्चों ने‘मोबाइल या पुस्तक’ नाटक का शानदार प्रस्तुतिकरण किया। बच्चों ने नाटक के माध्यम से तकनीक के दुरुपयोग और शिक्षा के संतुलित उपयोग पर गहन संदेश दिया, जबकि ‘पंचभूत तत्व’ नृत्य नाटिका ने पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के पंचतत्वों के महत्व को प्रभावी ढंग से दर्शाया। ‘आरम्भ है प्रचण्ड’ समूह नृत्य ने युवा ऊर्जा और उत्साह का अद्भुत प्रदर्शन किया।

समापन — वैदिक ऊर्जा, प्रसाद और धन्यवाद ज्ञापन के साथ
कार्यक्रम का संचालन नवदीप कौर छाबड़ा एवं निशा शर्मा ने किया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। अंत में संपूर्ण परिसर वैदिक मंत्रों, हर्षोल्लास और “जय आर्यावर्त” के जयघोष से गूंज उठा।
विदित हो डीएवी स्कूल ने करीब 15 साल पहले वैदिक चेतना से यह जनजागरण कार्यक्रम शुरू किया। जबकि ‘वैदिक आनंदोत्सव–2025’ ने यह संदेश दिया कि जब शिक्षा में वैदिक​ संस्कृति का संगम होता है, तब ज्ञान के साथ जीवन भी आलोकित होता है।