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देश की राजनीति जहां संसद में समोसे की महंगाई पर गरमा रही है, वहीं हरिद्वार नगर निगम की बोर्ड बैठक में मिठास की जगह खटास छा गई। वजह? गुलाब जामुन! जी हां, शहर की समस्याओं से जूझने के लिए बुलाए गए पार्षद बैठक में पहुंचे तो थे विकास के मुद्दे उठाने, लेकिन ध्यान भटक कर गुलाब जामुन की खटास पर।
विदित हो कि दिल्ली लोकसभा सत्र में भाजपा के सांसद रवींद्र किशन ने समोसे की महंगाई और उसके साइज को लेकर सवाल उठाया। तो देश की जनता सकते में आ गई कि सांसद को जनसमस्याओं से ज्यादा समोसे की चिंता सताई है। देश की समूची महंगाई में बस समोसे पर ही आफत आई है। गरीब जनता को घरेलू सामान की महंगाई से तिलमिलाई है।
लेकिन हरिद्वार के पार्षद तो सांसद से भी दो कदम तेज चले। नगर निगम की बोर्ड बैठक में गुलाब जामुन की खटास पर ही पिल गए। सदन में गुलाब जामुन की गुणवत्ता पर सवाल उठाया। समोसे में तेज ज्यादा आया तो उसको भी मुददा बनाया।
बैठक की अध्यक्षता कर रही मेयर किरण जैसल जामुन की खटास पर पशोपेश में पड़ गई। उनकी समझ नही आया कि पार्षदों को चुप कराए या गुलाब जामुन देने वाले दुकानदार को फटकार लगाए। नगर निगम के तमाम अधिकारी और कर्मचारी सकते में आ गए।
हद तो तब हो गई जब कुछ पार्षद इतने आहत हुए कि विकास कार्यों की चर्चा से ज्यादा तवज्जो उन्होंने गुलाब जामुन के कॉन्ट्रैक्टर पर नाराजगी जाहिर करने में दिखाई।
अब सवाल उठता है कि जनता ने इन पार्षदों को क्या मिठाई की गुणवत्ता जांचने के लिए चुना था? जबकि गलियों की टूटी सड़कें, जलभराव, गंदगी और स्ट्रीट लाइट की खस्ता हालत पर भी नजर हैं।
पार्षद अनुज सिंह ने बताया कि सदन में गुलाब जामुन की घटिया क्वालिटी का मुददा आया था। कुछ पार्षदों ने काफी नाराजगी जाहिर की।
हरिद्वार नगर निगम की बोर्ड बैठक में गुलाब जामुन खट्टे और पार्षद गरम




