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गुरु पूर्णिमा है। गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसका मुख्य संबंध महर्षि वेद व्यास से है। उन्हें हिंदू धर्म में प्रथम गुरु माना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत और भविष्य पुराण आदि महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। महर्षि वेद व्यास ने बाल्यकाल में ही वन में जाकर कठोर तपस्या की और ज्ञान प्राप्त किया। इसी कारण, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
सनातन धर्म में इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाता है। यह दिन आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को समर्पित है, और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। हरिद्वार में गुरु पूर्णिमा पर कई आयोजन किये जाएंगे। आश्रमों में गुरु आराधना और सत्संग होगा। गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र बंधन को दर्शाता है। गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्धता और बुद्धिमता को साझा किया। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जगत गुरु भगवान शिव ने इसी दिन से सप्तऋषियों को योग सिखाना शुरू किया था।
ऐसे करें गुरु पूर्णिमा पर पूजा
संत कृष्णा महाराज का कहना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने गुरु या उनके स्वरूप की पूजा करें। पूजा में जल, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और मिठाई का इस्तेमाल करें। पूजा के बाद अपने गुरु का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को मौसमी फल भेंट करने से आयु, सेहत और समृद्धि बढ़ती है। गुरु को भगवद गीता, रामायण, उपनिषद या कोई अन्य धार्मिक ग्रंथ भी दे सकते हैं। इससे जीवन में शुभता आती है।
ये वस्तु खरीदना होता है शुभ
मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन सोना, चांदी, धार्मिक पुस्तकें, श्रीयंत्र और कौड़ी जैसी चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पूर्णिमा के दिन धार्मिक वस्तुओं, जैसे कि धूप, दीपक और अगरबत्ती, और अनाज, फल, मिठाई आदि खरीदकर दान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। असहाय और गरीब व्यक्ति का अपना नहीं करना चाहिए।