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हरिद्वार–लक्सर–खानपुर मार्ग को फोरलेन में अपग्रेड करने की महत्वाकांक्षी परियोजना में अब वन विभाग की अनुमति और भूमि अधिग्रहण बड़ी चुनौती बन गई है। पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता सुरेश तोमर ने बताया कि परियोजना के लिए 45 मीटर चौड़ाई की भूमि की आवश्यकता है, जिसमें सर्विस लेन के लिए 25 मीटर और एलिवेटेड हिस्से के पास 25 मीटर जगह रखी जाएगी।
परियोजना का एलायमेंट तय किया जा चुका है, लेकिन निर्माण शुरू करने से पहले वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना और प्रभावित क्षेत्र की भूमि का अधिग्रहण अनिवार्य होगा। इसके बाद तैयार डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) भारत सरकार को भेजी जाएगी।
अधिकारियों का मानना है कि आवश्यक अनुमतियों और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने में समय लगेगा, इसलिए यह परियोजना कुंभ 2027 के बाद ही शुरू हो पाएगी।
फोरलेन बनने के बाद हरिद्वार के स्थानीय लोगों को जाम की समस्या से राहत मिलेगी और कांवड़ मेले के दौरान हरिद्वार–लक्सर रोड के ग्रामीणों को भी यातायात जाम से निजात मिलेगी।
हालांकि फोरलेन बनने का यह कार्य प्रस्तावित है। लेकिन इस महत्वकांक्षी योजना के शुरू होने में लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।