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हरिद्वार नगर निकाय चुनाव में वार्ड 58 में भाजपा प्रत्याशी विमला ढोढियाल भीतरघात का शिकार हो गई। विमला के साथ कदमताल करते हुए चुनाव प्रचार करने वाली एक टीम विपक्षी पार्टी के लिए काम करते रही। भाजपा प्रत्याशी विमला ढोढियाल को चुनाव में हराने के लिए संगठन की तमाम रणनीतियों को लीेक करते रहे तथा प्रत्याशी के खिलाफ काम करते रहे।
भाजपा की विमला ढोढियाल की पहचान संगठन की निष्ठावान कार्यकर्ता की रही है। वह जमीनी स्तर पर भाजपा को मजबूती प्रदान करने के लिए कार्य करती है। जिसके चलते उनकी क्षेत्र में लोकप्रियता है। वह लगातार जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को दूर करने का कार्य करती है। संगठन का रीति नीतियों का जमकर प्रचार करती है। इसी के चलते भाजपा ने उनको वार्ड 58 से प्रत्याशी बनाया तथा हरिद्वार नगर निगम में पार्षद बनाने के लिए चुनाव मैदान में उतारा। टिकट मिलने की खुशी और भाजपा संगठन के प्रति उनका अटूट विश्वास विमला ढोढियाल के लिए विश्वासघात का कारण बन गया।
नामांकन के बाद से ही एक टीम विमला ढोढियाल का चुनाव करने में जुट गई। जबकि टिकट के दावेदारों में खड़ी एक दूसरी टीम विमला के साथ तो रही लेकिन चुनाव का काम विरोधियों के लिए करती दिखी। विमला ने अपने विरोधियों पर भरोसा कायम रखा और यही चूक उनको चुनाव में हार का कारण बनी। अगर विमला ढोढियाल अपनी आस्तीन के सांपों को दूर कर लेती तो वह बहुत अधिक मतों से चुनाव जीतकर नगर निगम पहुंचती।
विमला नामांकन के दिन से ही चुनाव में बढ़त बनाकर चल रही थी। वह अपने वार्ड की खुद ही स्टार प्रचारक बनकर चुनाव मैदान में उतरी और अपनी सादगी से मतदाताओं का दिल जीतकर आगे बढ़ी। लेकिन संगठन की सेवा करना और चुनाव मैदान में उतकर राजनीति करने का विमला का अनुभव उनको बड़ी नसीहत दे गया है।
विमला को समझ में आ गया है कि दुश्मनों से ज्यादा खतरनाक आस्तीन के सांप होते है।
हरिद्वार निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भीतरघात की शिकार, इसीलिए हुई हार


