हरिद्वार के मंदिरों पर चढ़ावे के फूलों से बनेगी धूपबत्ती व हवन सामग्री, ग्रीन टेंपल मॉडल होगा तैयार




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नवीन चौहान
हरिद्वार के मंदिरों से प्राप्त फूलों-जैसे गुलाब, गैंदा आदि को अलग-अलग करके धूप व अगरबत्ती व हवन सामग्री बनाएंगे। इस प्रक्रिया के लिए प्लांट सबसे पहले लगायेंगे तथा इसकी मार्केटिंग का खास ध्यान रखा जायेगा, अवयव से खाद बनाएंगे, जो खेती में इस्तेमाल होगा। बायोगैस का मन्दिर में प्रसाद आदि बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। यहां से निकलने वाली प्रत्येक वस्तु के निस्तारण के लिए अलग-अलग योजना बनाई जाएगी। मंदिरों से 52 किलो कूड़ा प्रतिदिन ऐसा निकलता है, जिसे रिसाइकिल किया जा सकेगा। प्लास्टिक-नायलाॅन कैरी बैग, कप आदि को प्रतिबन्धित करके रोका जा सकता है। श्रद्धालुओं को ग्रीन टेम्पल अवधारणा के अनुसार प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जाएगा। व्यापारियों को जागरूक किया जाएगा, ग्रीन टेम्पल की अवधारणा के अनुसार प्रचार-प्रसार किया जाएगा, रूचि रखने वाले एनजीओ को भी इसमें शामिल किया जाएगा। आईटीसी तमिलनाडू में मदूरै सहित तीन मन्दिरों को ग्रीन टैम्पल के रूप में विकसित कर चुकी है, जहां व्यवस्थित ढंग से कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि यहां हम इसे यहां के मन्दिरों के अनुसार डिजायन बनायेंगे। दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में ग्रीन टेम्पल का माॅडल प्रस्तुत कर देंगे।
ग्रीन टैंपल मॉडल की योजना की तैयार
पूरी कार्ययोजना के लिए हरिद्वार के ​जिलाधिकारी सी रविशंकर ने आईटीसी प्राइवेट लिमिटेड सिडकुल के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए पूरी जानकारी ली। आईटीसी यह सभी कार्य सीएसआर मद के अन्तर्गत ग्रीन टेम्पल पहल के तहत करेगी। जिलाधिकारी को आईटीसी सिडकुल के अधिकारियों ने ग्रीन टेम्पल की अवधारणा के बारे में विस्तार से बताया। प्रथम चरण में मां मनसा देवी एवं मां चण्डीदेवी को ग्रीन टेम्पल माॅडल के रूप में प्रस्तुत करने के सम्बन्ध में वीडियो एवं एनीमेशन फिल्म के माध्यम से विस्तार से बताया।
15 से 20 हजार श्रद्धालु आते हैं मंदिरों में
मां मनसा देवी एवं मां चण्डी देवी में 15 से 20 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन, लगभग एक लाख के करीब नवरात्रों व अन्य विशेष पर्वों के अवसर पर दर्शन करने आते हैं। दोनों शक्तिपीठों का रास्ता काफी लम्बा है। रास्तों में ही ज्यादा कूड़ा होता है। यह लगभग 390 किलो प्रतिदिन निकलता है, जिसका निस्तारण आंशिक रूप से ही हो पाता है।
जंगली जानवरों पर लगाएंगे रोक
मन्दिरों के आसपास पूजा सामग्री, खाद्य सामग्री आदि की कई दुकानें हैं, जो कई प्रकार का कूड़ा मन्दिर परिसर अथवा आसपास बिखेरते रहते हैं, जिससे आसपास का वातावरण दूषित होने के साथ ही जैव विविधता का भी खतरा है तथा कूड़े से आकर्षित होकर जंगली पशु आदि भी आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं।
मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर परिसर होंगे पार्क से बाहर
बैठक में दोनों मन्दिरों के परिसरों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने बैठक में उपस्थित वन एवं वन्य जीव विभाग के अधिकारियों से इस सम्बन्ध में पूछा तो उन्होंने बताया कि दोनों मन्दिरों के परिसर को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने में कोई दिक्कत नहीं है।
ग्रीन टेम्पल से लगेंगे कूड़ेदान
बैठक में दोनों मन्दिर परिसरों में वेंडिंग जोन विकसित करने, ग्रीन टेम्पल का लोगो तैयार करने, इकट्टा होने वाले कूड़े के निस्तारण, मन्दिरों के रास्तों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ेदान लगाने आदि के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि ग्रीन टेम्पल प्रोजेक्ट में काफी कार्य हो चुका है। अब आप आपसी समन्वय से इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने में पूरी लगन एवं मेहनत से लग जाइये। आपको सभी का पूरा सहयोग प्राप्त होगा।
बैठक में यह अधिकारी हुए शामिल
बैठक में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) केके मिश्रा, सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, आईटीसी के अधिकारीगण, मां मनसा देवी एवं मां चंडी देवी मन्दिर समितियों के पदाधिकारीगण व अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।