नवीन चौहान
पुलिस की वर्दी देखकर बदमाश घबराने लगे यह बात तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ है कि सफेदपोश घोटालेबाजों में खौफ व्याप्त हो गया। छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने वाले आरोपी पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए ठिकाने बदल-बदल कर रात गुजार रहे है। इन घोटालेबाजों ने करीब पांच सालों के भीतर उत्तराखंड सरकार की आंखों में धूल झोंककर खूब धन बटोरा। धन कमाने की होड़ में इन घोटालेबाजों ने सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं से भी खूब नजदीकियां बनाई। नेताओं की भी खूब जेब गरम की। पुलिस की जांच में कई मंत्रियों को नकद राशि के रूप में कमीशन देने तक की पोल खुल चुकी है। लेकिन कागजी दस्तावेजों के रिकार्ड में तो हेराफेरी के मास्टर माइंड निजी कॉलेज संचालक ही है। इन आरोपियों पर युवा आईपीएस मंजूनाथ टीसी की नजर है।
उत्तराखंड कैडर के युवा आईपीएस मंजूनाथ टीसी की करीब डेढ़ साल पूर्व हरिद्वार जनपद में तैनाती हुई। इस दौरान उन्होंने बतौर एसपी क्राइम और यातायात के पदों पर रहकर पूरी कर्तव्यनिष्ठा से अपने फर्ज को पूरा किया। यातायात व्यवस्था को बनाने के लिए खुद सड़कों पर उतरे और व्यवस्था को बनाने में सहयोग किया। लेकिन आईपीएस मंजूनाथ टीसी का नाम चर्चाओं में नही रहा। इसी बीच उत्तराखंड सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले में एसआईटी गठित की तो युवा आईपीएस मंजूनाथ टीसी को चीफ बनाया गया। करीब 800 करोड़ के इस फर्जीबाड़े को मंजूनाथ टीसी ने पहली ही नजर में पकड़ लिया। घोटाला होना पुष्ट हुआ तो सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। एसआईटी चीफ मंजूनाथ टीसी ने अपनी टीम को बेहद गोपनीयता रखते हुए इस प्रकरण की विवेचना को आगे बढ़ाया। एसआईटी ने इस केस में पहली गिरफ्तारी की तो हड़कंप मच गया। निजी कॉलेज संचालकों ने नेताओं की शरण ली। लेकिन कॉलेज संचालको को कोई राहत नही मिली। आईपीएस मंजूनाथ टीसी के नेतृत्व में विवेचना कर रही पुलिस टीम ने एक के बाद एक आठ गिरफ्तारी कर घोटालेबाजों में खौफ पैदा कर दिया। हकीकत तो ये है निजी कॉलेज संचालकों में युवा आईपीएस मंजूनाथ टीसी के नाम से डर पैदा हो गया है। हालांकि अभी तो इस केस में कई बड़े घोटालेबाजों की कुंडली को खंगाला जा रहा है। एसआईटी चीफ के रडार पर सैंकड़ों आरोपी है।
ईमानदार युवा आईपीएस मंजूनाथ टीसी के रडार पर सफेदपोश


