कुंभ होगा सीमित, शर्ते होंगी लागू, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिए संकेत




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नवीन चौहान
कुंभ-2021 दिव्य और भव्य कराने के बजाय सीमित होगा। यह संकेत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिए हैं। उनका मानना है कि यदि कुंभ में खुली छूट दे दी तो कोरोना बीमाीर महामारी के तौर पर फैल सकती है। कुंभ मेला पर्व में केंद्र सरकार की ओर से जारी हुई एसओपी की गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया है। हालांकि इस एसओपी को लेकर हरिद्वार के व्यापारी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसी शर्तों के हिसाब से तो कुंभ के पर्वों में कोई स्नान करने आएगा ही नहीं।
कोरोना संक्रमण शुरू होने से ही कयास लगाए जा रहे थे कि हरिद्वार में कुंभ-2021 दिव्य और भव्य नहीं होगा। करोड़ों श्रद्धालु कुंभ में स्नान नहीं कर सकेंगे। हालांकि पिछले चार महीने से जिस तरीके से मेला प्रशासन ने कुंभ कार्यों में तेजी दिखाई और अधिकांश कार्य पूरे कर लिए गए, इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि कुंभ आयोजन पूर्व की भांति होगा। लेकिन जनवरी महीने के बजाय कुंभ का नोटिफिकेशन जब महीने में जारी करने की बात राज्य सरकार ने कह दी तो फिर से उम्मीद कम दिखने लगी कि कुंभ आयोजन दिव्य और भव्य नहीं होगा। अब केंद्र सरकार की ओर से हरिद्वार कुंभ-2021 के लिए जो एसओपी जारी कर की है उसमें शर्ते कठिन है। एसओपी के तहत कोरोना का आरटी पीसीआर टेस्ट कराकर पंजीकरण करना अनिवार्य रूप से लागू है। गंगा घाटों पर 6 फीट की दूरी का पालन कराने के साथ कई शर्ते पूरी कराना नामुमकिन है। अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अल्मोड़ा टूर के तहत संकेत दे दिए है कि हरिद्वार का कुंभ सीमित होगा। ऐसे में अब उम्मीद लगने लगी है कि कुंभ आयोजन नाममात्र का ही होगा। मुख्यमंत्री ने आशंका जताई है कि यदि कुंभ आयोजन में खुली छूट दे दी गई तो कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैल जाएगा और इससे मानव क्षति हो सकती है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी भी केंद्र सरकार की एसओपी का समर्थन कर चुके हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि परिषद पहले से मांग उठा रही है कि कुंभ आयोजन में सभी 13 अखाड़ों को ईष्टदेवों की पूजा कराने के लिए एक-एक घाट आवंटित कर दें। उनका कहना है कि यदि कोरोना फैल गया और नकारात्मक असर चला गया तो उसकी भरपाई करना नामुमकिन होगा। हालांकि कुंभ आयोजन न होने से हरिद्वार के व्यापारियों में आक्रोश है।