नवीन चौहान.
प्रदेश की राजनीति में हुए बड़े उलटफेर के बाद कई नेताओं को अब अपनी अलग पहचान बनाने के साथ ही अपना कद भी तय करना पड़ेगा। इसी कड़ी में हरिद्वार के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का नाम भी शामिल है। मदन कौशिक को पार्टी ने अब नई जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दी है। अब प्रदेश अध्यक्ष बने मदन कौशिक को अपनी इस नई पारी में न केवल अपना कद तय करना है बल्कि उनके सामने कड़ा इम्तिहान भी है।
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद विधायक मदन कौशिक के सामने आने वाले समय में कई चुनौतियां है। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब उन्हें फिर से पार्टी को मजबूती के साथ प्रदेश में जीत दिलाने का जिम्मा है। इससे पहले तीरथ सिंह रावत की लोकसभा सीट पर पार्टी के प्रत्याशी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए जो विधानसभा खाली होगी उस पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी अब उन पर ही होगी। राजनीति के बड़े धुरंधरों में शुमार मदन कौशिक को अब अपनी रणनीति से ये साबित करना होगा कि संगठन ने उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है उसमें वह दो कदम आगे ही साबित होकर दिखाएंगे। आने वाले चुनावों में पार्टी को मजबूती से जिताने का दबाव भी उन पर होगा। उनकी ये पारी उनका अगला राजनीतिक भविष्य भी तय करेगी। विधानसभा चुनाव 2022 का बेहतर परिणाम जहां उनका कद और बढ़ाएगा वहीं यदि परिणाम अच्छे नहीं रहे तो उनके राजनीतिक भविष्य पर भी असमंजस के बादल छा जाएंगे।

इसीलिए राजनीति के गलियारे में अब सबसे अधिक चर्चा इसी बात को लेकर हो रही है कि मदन कौशिक अपनी नई जिम्मेदारी के तहत अगला कदम क्या उठाएंगे। विरोधियों को साधना सबसे बड़ी चुनौती होगी। पार्टी में जो लोग उनके विरोधी हैं उनके लिए वह क्या रणनीति लेकर आएंगे इस पर भी अब सबकी नजर है। हालांकि मदन कौशिक के समर्थक यही कह रहे हैं कि संगठन ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है वह उस पर खरा उतरकर दिखाएंगे, उनके नेतृत्व में प्रदेश में पार्टी और अधिक मजबूत होकर सामने आएगी। वहीं चर्चा ये भी है कि आने वाले दिनों में मदन कौशिक को केंद्र की राजनीति में अच्छी जगह दी जा सकती है। मदन कौशिक संघ से भी जुड़े हैं, इसलिए उनकी ऊपर तक मजबूत पकड़ है। अब देखना यही है कि मदन कौशिक अपनी नई जिम्मेदारी के साथ इम्तिहान में क्या रिजल्ट लेकर आते हैं।