बकायेदार मुर्तजा की मौत महज एक हादसा, पीएम रिपोर्ट का इंतजार




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नवीन चौहान
हरिद्वार जिला प्रशासन ने कानून का अनुपालन कराने के लिए बकायेदार मुर्तजा अहमद से तकाजा किया था। वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर ही संग्रह अमीन मनोज कुमार ने मुर्तजा को नोटिस तामील कराया। मुर्तजा अपने परिजनों के साथ तहसील प्रशासन के पास सरेंडर करने पहुंचा। जहां तहसील हवालात में उसको बंद कर दिया गया। हालांकि इस दौरान मुर्तजा के परिजनों की ओर से दिया गया भोजन उसको कराया गया। तभी उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसको घबराहट महसूस हुई और उसकी जान चली गई। मुर्तजा की मौत महज एक हादसा था। जो जांच के बाद पूरी तरह साफ हो जायेगा। जिलाधिकारी सी रविशंकर के निर्देशों पर चार विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने कैमरे की निगाहों के सामने मृतक मुर्तजा का पोस्टमार्टम किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मौत के कारण भी स्पष्ट हो जायेगा। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने तहसील प्रशासन की तमाम चुनौतियों और बिना संसाधनों के वसूली आदेश का पालन कराने की खामियों को उजागर कर दिया है। जिला प्रशासन की टीम बैकफुट पर है।
ज्वालापुर के मौहल्ला पावंधोई निवासी मुर्तजा अहमद 47 पुत्र मुस्ताक अहमद को चतुर्थ अपर जिला एंव सत्र न्यायालय की ओर से 2 लाख 57 हजार 249 रूपये का बकायेदार घोषित किया गया था। इस बकाया धन की वसूली के लिए जिला तहसील प्रशासन को 12 मार्च 2020 तक का वक्त दिया गया। धन ना चुकाने की एवज में गिरफ्तारी करने का आदेश दिया गया था। तहसील प्रशासन के संग्रह अमीन मनोज कुमार इस वसूली के लिए मुर्तजा के घर पर चक्कर लगा रहा था। जिसके चलते उसके परिजनों ने रविवार 8 मार्च 2020 की शाम करीब 4 बजे तहसील में पेश किया। जिसके बाद मुर्तजा को हवालात में बंद कर दिया गया। इस दौरान तहसील प्रशासन ने हवालात के बाहर एक गार्ड की तैनाती की। शाम को मुर्तजा के परिजन उसके लिए खाना लेकर पहुंचे। यहां तक तो सबकुछ ठीक रहा। लेकिन रात्रि करीब साढ़े दस बजे मुर्तजा की तबीयत बिगड़ गई। उसको घबराहट महसूस हुई। इस बात का पता चलते ही गार्ड ने तत्काल तहसीलदार आशीष घिल्डियाल को सूचना दी। सूचना मिलते ही तहसीलदार आशीष घिल्डियाल तत्काल सरकारी वाहन में मुर्तजा को बैठाकर जिला अस्पताल की ओर रवाना हुए। लेकिन मुर्तजा ने रास्ते में दम तोड़ दिया और चिकित्सकों ने उसकी मृत्यु की पुष्टि कर दी। यही घटना तहसील प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बन गया। इस पूरे घटनाक्रम का बारीकी से विश्लेषण किया जाए तो ये महज एक हादसा था। तहसील प्रशासन कानून का अनुपालन कराने में लगा था। मुर्तजा को कस्टडी में लेने के दौरान भी नियमो का पालन किया गया। जिला तहसील प्रशासन की मंशा भी बकाया धन की वसूली करना अथवा बकायेदार की गिरफ्तारी करके कोर्ट में प्रस्तुत करना ही महज था। अब चूंकि घटना हो चुकी है तो जांच भी होगी। लेकिन तहसील प्रशासन आगे से वसूली आदेश का अनुपालन करने मेें अपने कदम पीछे खींच लेने की संभावना भी बढ़ गई है।