हरिद्वार। बडे उदासीन अखाड़े के महंत मोहनदास की गुमशुदगी को लेकर सरकार से लेकर पुलिस महकमे की मुश्किले बढ़ी हुई है। सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और केबिनेट मंत्री मदन कौशिक पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाये हुये है। पुलिस महकमे की ओर से एडीजी अशोक कुमार, हरिद्वार के एसएसपी कृष्ण कुमार वीके सहित पुलिस की स्पेशल टॉस्क फोर्स महंत मोहनदास की तलाश में जुटी है। महंत मोहनदास कहां है और किस हाल में ये इस सवाल का जबाव किसी के पास नहीं है। हालांकि, पूरे घटनाक्रम में पुलिस कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। वही दूसरी ओर संत समाज सरकार और पुलिस पर नजरे तिरछी किये हुये है। फिलहाल संतों ने पुलिस को दस दिन का समय महंत को बरामद करने के लिये दे दिया है। जिससे सरकार और पुलिस को थोड़ी राहत जरुर मिल गई है।
इन दिनों हरिद्वार का एक प्रकरण हाईप्रोफाइल होता जा रहा है। बड़ा उदासीन अखाड़े के महंत मोहनदास रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता चल रहे है। महंत को बरामद करने के लिये अखाड़ा परिषद से लेकर संत समाज के तमाम साधु चिंतित है। उनकी चिंता वाजिव भी है। आखिरकार महंत कहां पर है। वह सकुशल है या किसी अनहोनी का शिकार हो गये है। ये चिंता सरकार और पुलिस को भी है। पुलिस महंत मोहनदास को बरामद करने के लिये ऐडी चोटी का जोर लगा रही है। पुलिस बड़ी बारीकी से तमाम सूचनाओं को संकलित कर तस्दीक करने में लगी है। कई एंगल पर पुलिस कार्य कर रही है।
लेकिन संतों को पुलिस के कार्य और पुलिस की मेहनत से कोई लेना देना नहीं है। संतों का सवाल तो बस एक ही है कि महंत मोहनदास कहां पर है। हालांकि मोहनदास की खोजबीन में खुद साधु समाज के तमाम अखाड़े और खुद संत भी प्रयास कर रहे है। लेकिन जब तक महंत मोहनदास नहीं सामान्य धारा में वापिस नहीं लौट आते सरकार और पुलिस की मुश्किले खत्म होने वाली नहीं है। सरकार और पुलिस को साधुओं के इन सवालों का सामना करते रहना पड़ेगा।