नवीन चौहान, हरिद्वार। ऋषि मुनियों की परंपरा वाले भारत देश की संस्कृति में जब बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के गुरुकुलों में भेजा जाता था तब अभिभावक गुरुओं को ये बात कहकर बच्चा सौंपते थे कि हड्डी हमारी और खाल आपकी है। आप इस बच्चे चरित्र निर्माण कर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाकर हमकों देना। गुरु बच्चों को गंजा कराकर शिक्षा के साथ-साथ कठिन से कठिन कार्य सौंपते थे। इस कार्य को कराने के पीछे गुरु का आशय बच्चों में अपने बड़ों के प्रति आदर भक्ति का भाव जाग्रत करना होता था। लेकिन बदलते वक्त ने गुरुओं से ये तमाम अधिकार छीन लिया है। गुरुजनों को अपने विद्यार्थी को कुछ कहने सुनने का कोई अधिकार नहीं है। यदि कोई स्कूल बच्चों के आचरण को सुधारने का कार्य करता है तो उसको अभिभावकों के विरोध और हंगामे का सामना करना पड़ता है। गुरुजनों को पुलिस ने अपनी सुरक्षा करानी पड़ती है। स्कूल प्रशासन से तमाम अधिकार छीनने के लिये काफी हद तक अभिभावक खुद और हमारी सरकार जिम्मेदार है।
आज हम आपकों शिक्षा जगत की हकीकत से वाकिफ कराते है। भारत देश में ऋषि मुनियों के दौर में वैदिक शिक्षा पद्वति थी। विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिये गुरुकुल भेजा जाता था। जहां ऋषि मुनि बच्चों को वैदिक ज्ञान के साथ-साथ शिक्षा का ज्ञान कूट-कूट कर भरते थे। कूटने शब्द का प्रयोग इसलिये किया गया कि वो वास्तव में छात्र को कठिन आग की तपिश से झुलसाकर खरा सोना बनाते थे। गुरुकुलों से निकलने वाले छात्र श्रेष्ठ नागरिक होते थे। तथा अपने गुरुजनों अभिभावकों का चरण स्पर्श कर राष्ट कल्याण का कार्य करते थे। लेकिन वक्त बदल गया। आज के दौर में स्कूल सर्विस प्रोवाइडर बन गये। स्कूलों में बच्चों को आज के दौर की एअर कंडीशनर सुविधायें चाहिये। अभिभावकों को स्कूल को दी गई फीस का हिसाब भी चाहिये। अभिभावकों को वो तमाम चीज चाहिये जो बच्चों को आराम तलब बना दे। आज के शिक्षक अपने विद्यार्थी से एक गिलास पानी तक नहीं मंगा सकता है। अगर ऐसी गुस्ताखी किसी शिक्षक ने कर दी तो उसको कानून की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। और सेवाओं में कमीं का दोषी शिक्षक पाया जा सकता है। यहीं कारण है कि शिक्षक और छात्र के बीच एक दूरी बन गयी है। ये दूरी छात्रों के भविष्य को संकट में डाल रही है। इस दूरी के लिये अभिभाभावक और सरकार दोनों जिम्मेदार है।
विद्यार्थी के बाल कटवाये तो अभिभावकों ने किया स्कूल में हंगामा
हरिद्वार। विद्यार्थी के आचरण को सुधारने के लिये बच्चों को बाल को कटवाना स्कूल प्रशासन को भारी पड़ गया। बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल में जमकर हंगामा किया। स्थिति तनावपूर्ण हुई तो स्कूल प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। फिलहाल अभिभावक और स्कूल प्रशासन की ओर से पुलिस को तहरीर दी गई है। घटना उत्तरी हरिद्वार के एक निजी स्कूल की है।
उत्तरी हरिद्वार में दून पब्लिक स्कूल है। इस स्कूल में रोजाना की तरह मंगलवार को कक्षायें शुरू हो गई। इसी दौरान स्कूल प्रशासन ने कक्षाओं की चेकिंग की। कुछ छात्रों के बाल बढ़े हुये थे। स्कूल प्रशासन ने बढ़े हुये बाल वाले छात्रों को कक्षाओं को कक्षा से बाहर बुला लिया। स्कूल प्रशासन ने बच्चों के स्कूल परिसर में ही बाल कटवा दिये। जिसके बाद उन बच्चों के परिजन स्कूल पहुंच गये। अभिभावकों ने बाल कटवाने को लेकर आपत्ति की। तथा हंगामा करना शुरू कर दिया। स्कूल प्रशासन ने इन तमाम बच्चों को पूर्व में भी बाल कटवाने की चेतावनी दी थी। अभिभावकों के हंगामे की सूचना पर स्कूल ने सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस को सूचना दे दी। सूचना पर कोतवाली प्रभारी चंद्रभान सिंह अधिकारी मौके पर पहुंच गये। पुलिस ने जब हंगामे के कारण समझा तो वह पशोपेश में पड़ गये। बहराल पुलिस ने शांति व्यवस्था को कायम करा दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि स्कूल को बच्चों के गलत आचरण को सुधारने का भी कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में अभिभावकों का बच्चों के पक्ष में खड़ा होकर हंगामा करना बच्चों के भविष्य से सीधा खिलबाड़ करना है। लेकिन इस प्रकरण में पुलिस को तहरीर दी जा चुकी है।