उत्तराखंड की खेती के लिए नई दिशा: नीतियों, तकनीक और भरोसे का संगम




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न्यूज 127, नवीन चौहान
उत्तराखंड के गौचर (चमोली) में आयोजित राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन में उत्तराखंड की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुनहरे भविष्य पर केंद्रित एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में यह सम्मेलन केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पहाड़ी खेती की जमीनी चुनौतियों और संभावनाओं पर केंद्रित रहा।
उत्तराखंड की कृषि व्यवस्था छोटे और सीमांत किसानों पर आधारित है, जहां सीढ़ीदार खेत, मौसम की अनिश्चितता और प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम हमेशा बना रहता है। ऐसे में 100 करोड़ की लागत से प्रस्तावित ‘क्लीन प्लांट प्रोग्राम’ राज्य की बागवानी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। ICAR–CITH मुक्तेश्वर में स्थापित होने वाले क्लीन प्लांट सेंटर से सेब, कीवी, माल्टा और नींबू वर्गीय फलों के रोगमुक्त पौधे उपलब्ध होंगे। इससे नर्सरी स्तर पर होने वाली गुणवत्ता संबंधी समस्याएं कम होंगी और किसानों को भरोसेमंद पौध सामग्री मिलेगी।
कीवी उत्पादन के लिए न्यूजीलैंड के साथ प्रस्तावित ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय तकनीक और अनुभव से जोड़ने की पहल है। इससे बागवानी में आधुनिक तकनीक, बेहतर किस्में और बाजार तक सीधी पहुंच संभव होगी, जिससे राज्य को देश की बागवानी राजधानी बनाने का लक्ष्य साकार हो सकता है।
सम्मेलन में इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल पर दिया गया जोर छोटे किसानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। सीमित भूमि पर फसल, फल, सब्जी, जड़ी-बूटी, पशुपालन और मत्स्य पालन को एक साथ जोड़कर आय के विविध स्रोत विकसित किए जा सकते हैं। यह मॉडल पहाड़ों में पलायन रोकने और गांवों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में कारगर साबित हो सकता है।
फसल क्षति पर त्वरित सहायता और 65 करोड़ से अधिक की राहत राशि का सीधे खातों में अंतरण सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है। साथ ही वैज्ञानिकों और अधिकारियों की टीम द्वारा पांच साल का कृषि रोडमैप तैयार करने की घोषणा से यह स्पष्ट है कि नीतियां अब दीर्घकालिक सोच के साथ बनाई जा रही हैं।
विकसित भारत–जी राम जी योजना के जरिए ग्रामीण रोजगार, पारदर्शिता और ग्राम सभा की भूमिका को मजबूत करने का प्रयास किया गया है। महिला सशक्तिकरण, लखपति दीदी अभियान और ग्रामीण सड़कों के विस्तार से सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि उत्तराखंड में कृषि विकास को समग्र ग्रामीण विकास से जोड़कर देखा जा रहा है। यह सम्मेलन उत्तराखंड के किसानों के लिए केवल आश्वासन नहीं, बल्कि योजनाबद्ध और टिकाऊ विकास की दिशा में एक ठोस पहल के रूप में देखा जा रहा है।