हरिद्वार में सीवर लाइन के चैंबरों की गुणवत्ता पर सवाल, बिना सीमेंट-के निर्माण




Listen to this article

हरिद्वार
हरिद्वार के जगजीतपुर क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से बिछाई जा रही सीवर लाइन योजना की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। जहां एक ओर इस योजना को शहर के लिए बड़ी सौगात बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सीवर लाइन के चैंबरों के निर्माण में घोर लापरवाही सामने आ रही है।

स्थानीय लोगों और ठेकेदारों का आरोप है कि सीवर लाइन डालने वाले ठेकेदार द्वारा माल बचाने के लिए मानकों को ताक पर रखा जा रहा है। कई स्थानों पर चैंबरों में सीमेंट की मात्रा बहुत कम है। जबकि ईंटों की चिनाई में सीमेंट का प्रयोग तक नहीं किया गया। इससे चैंबरों की मजबूती और टिकाऊपन पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

सबसे गंभीर बात यह है कि चैंबरों के नीचे फाउंडेशन में न तो बजरी डाली गई और न ही सीमेंट का मसाला लगाया गया। ऐसे में आने वाले समय में चैंबरों में लीकेज, धंसान और टूट-फूट की प्रबल संभावना जताई जा रही है।

छह माह भी नहीं टिकेंगे चैंबर

स्थानीय ठेकेदार राज किशोर ने सीवर लाइन के चैंबर निर्माण की गुणवत्ता पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से चैंबर बनाए जा रहे हैं, वे छह महीने भी नहीं चल पाएंगे। राज किशोर के अनुसार, मानक प्रक्रिया के तहत सबसे पहले बजरी डालकर धुरमुट (Compaction) किया जाना चाहिए, ताकि बेस मजबूत हो सके, लेकिन यहां इस प्रक्रिया को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।

क्या कहते हैं निर्माण मानक

विशेषज्ञों के अनुसार सीवर लाइन के चैंबर निर्माण में तय मानकों का पालन अनिवार्य होता है— चैंबर के नीचे मजबूत बेस (Foundation) का निर्माण जरूरी है। सीमेंट : रेत : गिट्टी = 1:4:8 के अनुपात में पीसीसी, बेस की मोटाई 100 से 150 मिलीमीटर, बेस पूरी तरह लेवल और मजबूत होना चाहिए, दीवारों की चिनाई में 1:4 सीमेंट मसाला और अंदरूनी प्लास्टर वाटरप्रूफ और स्मूथ होना चाहिए। लेकिन जगजीतपुर क्षेत्र में इन मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि सीवर लाइन फेल होने पर निगम और प्रशासन दोनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।