DAV पब्लिक स्कूल में नन्हें-मुन्ने बच्चों के स्नातक समारोह में बिखरे इंद्रधनुषी रंग




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न्यूज 127.
डीएवी पब्लिक स्कूल, डिफेंस कालोनी देहरादून में यूकेजी कक्षा के बच्चों के लिए स्नातक समारोह पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। यूकेजी के इन नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा शैक्षिक सत्र को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के पश्चात् कक्षा एक में प्रवेश पाने की तैयारी के रूप में इस स्नातक समारोह का विशेष आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बच्चों का उत्साहवर्धन करने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में विधायक उमेश शर्मा काऊ, डिफेंस कॉलोनी वार्ड के पार्षद देवेंद्र गैरोला, विद्यालय की प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया तथा शिक्षिकाओं सहित बच्चों के अभिभावक उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि ने बच्चों की उपलब्धियों पर उनका उत्साहवर्धन किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी को छोटे बच्चों की प्रतिभा के इंद्रधनुषीय रंग देखने को मिले।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इसके पश्चात् कार्यक्रम की आगे की श्रृंखला में यूकेजी कक्षा की नन्ही छात्रा रक्षिता सेमवाल ने अपनी शास्त्रीय नृत्य की सुंदर प्रस्तुति द्वारा सभी को विस्मित कर दिया। इसी कक्षा की छात्रा तान्या नेगी ने अंग्रेज़ी में एक कहानी ‘द मंकी एंड टू कैट्स’ सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। बच्चों के इस शानदार प्रस्तुतीकरण ने पूरे माहौल को उत्साह, उमंग एवं नवीन स्फूर्ति से सराबोर कर दिया। तत्पश्चात् छात्र उत्कर्ष यादव ने माँ दुर्गा के प्राकट्यका भावपूर्ण वर्णन करते हुए हिंदी में एक कथा सुनाई।

कक्षा यूकेजी के ही बच्चों द्वारा अपनी शिक्षिकाओं के प्रति प्रेम एवं आभार व्यक्त करते हुए एक हृदय स्पर्शी गीत ‘आई लव माय टीचर’ गाया गया। कार्यक्रम के अंत में छोटे-छोटे बाल नृतक व नर्तकियों द्वारा पहाड़ी नृत्य की धमाकेदार प्रस्तुति दी गई। बच्चों के खिले-खिले चेहरों पर छाए प्रसन्नता के भावों को देख सभी अभिभावक पुलकित एवं रोमांचित हो उठे। विद्यालय की ओर से ग्रेजुएशन सेरेमनी को अनोखे अंदाज़ में मनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वैदिक संस्कृति एवं उत्तराखंडी संस्कृति के समागम के प्रतीक रूप में बच्चों को पहाड़ी टोपी एवं गायत्री मंत्र लिखित सैश पहनाए गए।

विशेष बात यह है कि इस अवसर पर बच्चों को उनकी योग्यता एवं प्रतिभा के आधार पर भिन्न-भिन्न उपाधियाँ भी प्रदान की गईं।

बच्चों का बालमन नाना प्रकार की कल्पनाओं से सजा होता है। इन्हीं कल्पनाओं को मूर्त एवं साकार रूप प्रदान करने में विद्यालय एवं शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

भारतीय संस्कृति की मूलभूत एवं वैदिक परंपराओं को बच्चों में हस्तांतरित करना ही डीएवी विद्यालयों की शिक्षा पद्धति का मूल आधार रहा है।

कार्यक्रम में बच्चों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों का सभी ने भरपूर आनंद लिया।