पंचायत के वादे भी हुए हवा—पीड़िता ने पुलिस से लगाई न्याय की गुहार
न्यूज़127।
हरिद्वार के बुग्गावाला क्षेत्र से मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। कड़ाके की ठंड में एक महिला अपने डेढ़ साल के मासूम बच्चे को गोद में लिए पति के घर के बाहर घंटों दरवाज़ा खुलने का इंतज़ार करती रही, लेकिन पति, सास और ससुर ने बेरहमी की सारी हदें पार करते हुए दरवाज़ा तक खोलना मंज़ूर नहीं किया। बार-बार दस्तक देने और पुकारने के बाद भी जब कोई नहीं निकला तो पीड़िता रोती-बिलखती वहीं बैठी रही।
मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और उन्होंने भी कई बार दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। पुलिस के प्रयास भी विफल रहे और अंततः महिला को मायूस लौटना पड़ा।
पंचायत में हुआ था समझौता, तय हुई थी 10 दिसंबर की तारीख
पीड़ित महिला रीटा के भाई शुभम कुमार ने बताया कि 27 नवंबर 2025 को शहर के सम्मानित किसान यूनियन के पदाधिकारी और पुलिस की मौजूदगी में पंचायत हुई थी। पंचायत में रीटा के पति रोहित, उसके पिता वेदप्रकाश और परिजनों ने रीटा को घर वापस लाने और देखभाल करने का आश्वासन दिया था।
पंचायत में यह शर्त भी रखी गई कि रीटा को उसके भाई द्वारा ही छोड़ा जाएगा। इसी समझौते के तहत वह 10 दिसंबर को बहन को लेकर ससुराल पहुंचा था, लेकिन वहां किसी ने दरवाज़ा तक नहीं खोला।
शादी के बाद से ही चलता रहा अत्याचार
शुभम के अनुसार, रीटा की शादी 9 दिसंबर 2023 को बुग्गावाला निवासी रोहित पुत्र वेदप्रकाश से बड़े समारोह में हुई थी। लेकिन विवाह के बाद से ही रोहित और उसके परिवार ने रीटा के साथ मारपीट, अपमान और गाली-गलौच को रोजमर्रा बना दिया।
रीटा ने अपने छोटे बच्चे की खातिर सब सहा, लेकिन कुछ समय पहले ससुराल वालों ने मारपीट कर उसे घर से बाहर निकाल दिया। तब से वह मायके में रहकर अपने बच्चे की परवरिश कर रही है।
अब भी न्याय की तलाश
10 दिसंबर को पंचायत में किए वादों के बावजूद ससुराल पक्ष द्वारा दरवाज़ा न खोले जाने के बाद शुभम ने कहा कि वह बहन को अपने साथ वापस ले जा रहा है, लेकिन न्याय की लड़ाई जारी रखेगा।
पीड़िता ने पुलिस व प्रशासन से सुरक्षा और न्याय की गुहार लगाई है। मामला ग्रामीणों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग ससुराल पक्ष के इस अमानवीय व्यवहार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।



