नवीन चौहान
हरिद्वार। आंखे मिली और हो गया प्यार। सात जन्मों का साथ निभाने की कसम ली तो अग्नि के सात फेरे ले लिये। दोनों के प्यार की निशानी एक बेटे के रूप में सामने आ गई। उसके बाद इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। लेकिन प्रेमी से पति बने युवक ने हार नहीं मानी। पत्नी को बचाने के लिये अपनी किडनी तक दे दी। लेकिन चिकित्सकों की लापरवाही और भगवान के आगे उसकी एक ना चलीं। आखिरकार प्रेमिका से पत्नी बनी ने इस संसार से अंतिम विदाई ले ली। वह किडनी की गंभीर बीमारी से जूझती हुई अपने परिवार को रोता बिलखता छोड़ गई। लेकिन पति ने पत्नी धर्म और परिवार की जिम्मेदारी का ईमानदारी से पालन किया। ये किसी फिल्मी की कोई स्टोरी नहीं है। ये दर्द भरी दास्तां एक प्रेमी युगल की है। जो वैलेनटाइन डे के दिन एक दूसरे से जुदा हो गया।
बाबा रामदेव की कंपनी में कार्य करने वाला एक युवक और युवती वेलेनटाइन डे के दिन एक दूसरे से जुदा हो गये। जुदाई भी ऐसी जो फिर कभी नहीं मिल सकते हैं। लेकिन युवती अपनी खट्टी मीठी यादों के साथ युवक के दिल में हमेशा रहेगी। युवक प्यार की निशानी की परवरिश के लिये खुद को मानसिक रूप से मजबूत कर रहा है। युवती अब इस दुनिया में नहीं है। युवती की मौत का दुख युवक की आंखों में आंसूओं के रूप में बाहर आ रहा है। युवक आंसूओं को थामने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उसका प्यार बार-बार आंखों के सामने आ रहा है। वेलेनटाइन डे के दिन जुदा हुई उस युवती और युवक की प्रेम कहानी को समझने के लिये करीब डेढ़ दशक पीछे जाना पड़ेगा।
नौकरी की तलाश में आया हरिद्वार
उड़ीसा के एक छोटे से गांव डिपली मॉल से एक युवक नौकरी की तलाश में हरिद्वार आया था। युवक को सिडकुल की एक कंपनी में नौकरी मिल गई। किराये का कमरा लेकर युवक सिडकुल की कंपनी में नौकरी करने लगा।
आटो में आंखे हुई चार
युवक सिडकुल जाने के लिये ऑटो से निकलता था। नौकरी में जाने के दौरान ऑटो में एक युवती से उसकी आंखे चार हो गई। वह युवती भी सिडकुल की कंपनी में नौकरी करती थी। दोनों का एक दूसरे से मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया। युवती ने अपना नाम बताया। वहीं से युवती और युवक के बीच प्रेम का सिलसिला शुरू हो गया। एक दिन युवक ने अपने प्यार का इजहार कर दिया। युवती ने भी युवक के प्यार पर अपनी मोहर लगा दी। जिसके बाद ये प्रेमी युगल एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसम लेने लगे।
परिजनों का झेला विरोध
युवक और युवती के प्रेम में युवती के परिजन रोड़ा बन गये। युवती के परिजनों ने युवक से नहीं मिलने की कसम दी। लेकिन सात जन्मों तक साथ निभाने का वायदा कर चुकी युवती ने परिजनों के विरोध को दरकिनार कर दिया। परिजनों के विरोध के बावजूद युवती ने युवक से बेपनाह मोहब्बत जारी रखी। आखिरकार दोनों के प्यार की जीत हुई। दोनों ने शादी रचा ली। इस शादी पर युवती के परिजनों ने आशीर्वाद दे दिया।
शादी के बाद गम का दौर
युवक और युवती से पति पत्नी बने इस दंपति की गृहस्थी शुरू ही हुई थी कि दुख के बादल मंडराने लगे। युवती की अचानक तबीयत खराब हो गई। चिकित्सकों को दिखाया तो उन्होंने किडनी में इंफ्ेक्शन बताया। युवक प्रेमिका से पत्नी बनी अपने प्यार का बेहतर इलाज कराने के लिये दिलो जान से लग गया। मंहगे से मंहगा इलाज कराया गया। आखिरकार परीक्षा की घड़ी आ गई।
जब युवती को दे दी किडनी
चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने को कहा तो पति ने अपनी एक किडनी दे दी। 19 सितंबर 2014 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में किडनी बदल दी गई। यहां चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट की युवती की तबीयत ओर बिगड़ गई। लेकिन उसने हार नहीं मानी। युवक ने अपनी पत्नी को दुनिया में जिंदा रखने के लिये अच्छा से अच्छा इलाज कराने में जुट गया। लेकिन भगवान के आगे किसी की नहीं चलती। ऐसा ही कुछ युवक के साथ हुआ। सोमवार को युवती की तबीयत अचानक खराब हुई तो उसे दिल्ली ले जाने का प्रबंध किया गया। लेकिन कंडीशन ज्यादा खराब हो गई। युवती को दिल्ली जाने की स्थिति में नहीं रही तो जौलीग्रांट लेकर गया। वहां युवती ने अपने पति और एक छोटे से मासूम को रोता बिलखता छोड़ गई।